Sharda Sinha: लोकप्रिय लोकगायिका और बिहार की शान, शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार गुरुवार को पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया. सुबह करीब 10:30 बजे अंतिम संस्कार संपन्न हुआ, जहां शारदा सिन्हा अमर रहें और जय छठी मईया के जयकारों के बीच उन्हें पंचतत्व में विलीन किया गया. बेटे अंशुमन सिन्हा ने अपनी मां को मुखाग्नि दी, और इस विदाई के दौरान कई प्रशंसक, परिजन और स्थानीय लोग भावुक हो उठे.
गुरुवार की सुबह करीब 8:45 बजे शारदा सिन्हा की अंतिम यात्रा राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से निकाली गई. बेटे अंशुमन सिन्हा ने अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया. इस दौरान उनके साथ कई राजनेता, मित्र और प्रशंसक भी थे. बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरसिया भी अंतिम यात्रा में शामिल होकर शारदा सिन्हा को अंतिम विदाई देने पहुंचे.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके पटना स्थित आवास पर पहुंचने की घोषणा की थी. 6 नवंबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उनके पटना लौटने पर कंकड़बाग स्थित आवास पर पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की. नीतीश कुमार ने शोकाकुल परिजनों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी शारदा सिन्हा को ‘बिहार कोकिला’ कहते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी थी और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की घोषणा की थी.
करीब डेढ़ महीने पहले ही शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिन्हा का भी निधन हुआ था, जिसका अंतिम संस्कार भी गुलबी घाट पर किया गया था. शारदा सिन्हा ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के माध्यम से पति के निधन की जानकारी साझा की थी. इसी घाट पर उनकी भी अंतिम विदाई देने की इच्छा थी, जो परिवार द्वारा पूरी की गई.
मंगलवार की रात 72 वर्षीय शारदा सिन्हा का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. कुछ दिनों से उनकी तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 4 नवंबर को उनकी स्थिति अधिक खराब होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया, लेकिन जीवन की आखिरी जंग में वह हार गईं. उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है, और पूरे देश ने एक महान कलाकार को खोने का दर्द महसूस किया है.
उनकी अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने ‘शारदा सिन्हा अमर रहें’ और ‘जय छठी मईया’ के जयकारे लगाए. शारदा सिन्हा, जिन्होंने छठ पूजा से जुड़े गीतों को घर-घर पहुंचाया और बिहार की लोकसंगीत परंपरा को नई पहचान दी, अब सदैव के लिए अपने प्रशंसकों के दिलों में बसी रहेंगी.
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-भारत एक्सप्रेस
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