Rahul Gandhi News: कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के एक लेख पर सियासी बवाल मच गया है. देशभर के राजघरानों के शीर्ष नेताओं ने राहुल गांधी के लेख की निंदा की है. इंडियन एक्सप्रेस न्यूजपेपर में छपे लेख में राहुल ने ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी और देश के राजा-महाराजाओं पर कई सवाल उठाते हुए उन पर आलोचनात्मक टिप्पणी की है. उन्होंने लिखा कि राजा-महाराजाओं को काबू करके ईस्ट इंडिया कंपनी ने आम हिंदुस्तानियों की आवाज कुचली थी.
राहुल गांधी ने अपने लेख में वर्तमान व्यापार और बाजार परिदृश्य पर विचार प्रस्तुत किए थे. उन्होंने बुधवार को X.Com पर अपना लेख साझा करते हुए लिखा-
अपना भारत चुनें- निष्पक्ष खेल या एकाधिकार?
नौकरियां या कुलीनतंत्र?
योग्यता या रिश्ते?
नवाचार या डरा-धमकाना?
बहुतों के लिए धन या कुछ चुनिंदा लोगों के लिए?
मैं इस बारे में लिख रहा हूं कि बिजनेस के लिए एक नई डील सिर्फ एक विकल्प नहीं है, यह भारत का भविष्य है.
अखबार में राहुल गांधी के आलेख में लिखा गया, “ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को चुप करा दिया था. इसे अपने व्यापारिक कौशल से नहीं, बल्कि अपने दबदबे से चुप कराया गया था. उस कंपनी ने हमारे महाराजाओं और नवाबों को अपने साथ करके, रिश्वत देकर और धमकाकर भारत का गला घोंटा. इसने हमारे बैंकिंग, नौकरशाही और सूचना नेटवर्क को नियंत्रित किया. हमने अपनी आजादी किसी अन्य राष्ट्र से नहीं खोई, हमने इसे एक एकाधिकारवादी निगम के हाथों खोया, जिसने यहां जोर-जबरदस्ती वाला तंत्र चलाया.”
इस प्रकार राहुल गांधी के लेख में लिखी गई पहली 4 लाइनों ने पूर्व रजवाड़े व शाही परिवारों को नाराज कर दिया है. राहुल गांधी के लेख पर राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी (Diya Kumari) से लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) जैसे नेताओं ने ऐतराज जताया है. मैसूर रजवाड़े के वंशज और लोकसभा सांसद यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वोडयार (Yaduveer Krishnadatta Chamaraja Wadiyar) ने भी राहुल गांधी के लेख की निंदा की है.
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने X.Com पर लिखा, ‘भारत के पूर्व शाही परिवारों को बदनाम करने के राहुल गांधी के प्रयासों की मैं कड़ी निंदा करती हूं. एकीकृत भारत का सपना भारत के पूर्व राजपरिवारों के बलिदान के कारण ही संभव हो पाया. ऐतिहासिक तथ्यों की आधी-अधूरी व्याख्या के आधार पर लगाए गए निराधार आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं.’
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी राहुल गांधी को धिक्कारा. सिंधिया ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘नफरत बेचने वालों को भारतीय गौरव और इतिहास पर व्याख्यान देने का कोई अधिकार नहीं है. राहुल गांधी की भारत की समृद्ध विरासत के बारे में अज्ञानता और उनकी औपनिवेशिक मानसिकता ने सभी हदें पार कर दी हैं. यदि आप राष्ट्र के उत्थान का दावा करते हैं, तो भारत माता का अपमान करना बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेन्नम्मा और रानी वेलु नचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने हमारी स्वतंत्रता के लिए जमकर लड़ाई लड़ी.’
महराजा हरि सिंह के पोते विक्रमादित्य सिंह ने राहुल को आड़े हाथों लेते हुए लिखा, ‘अखबार में छापा गया यह लेख राहुल गांधी की इतिहास की समझ को दर्शाता है. महाराजाओं के योगदान और भूमिका को सिर्फ़ ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन रहने तक सीमित नहीं किया जा सकता. इनमें से कई महाराजाओं को शासन करने के लिए पहले से बने बनाए राज्य नहीं दिए गए थे, बल्कि वे किसान और सैनिक के रूप में साधारण पृष्ठभूमि से आए थे, जिन्होंने अपने क्षेत्र और बाद में राज्य बनाने के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं और संघर्ष किया. उदाहरण के लिए, महाराजा गुलाब सिंह ने पैदल सैनिक के रूप में शुरुआत की और अपनी सेना का नेतृत्व किया, जिसने अंततः भारत को जम्मू, कश्मीर और लद्दाख राज्य उपहार में देने के लिए अपना खून और जीवन बलिदान कर दिया.’
विक्रमादित्य सिंह ने X.com पर अपने पोस्ट में आगे लिखा, ‘‘1930 में जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ब्रिटिश राजधानी लंदन में खड़े होकर गोलमेज सम्मेलन में स्वतंत्र भारत की मांग करने वाले पहले व्यक्ति थे. यह विडंबना है कि राहुल गांधी, जो खुद बड़े विशेषाधिकार से आते हैं, बार-बार भारत गणराज्य में महाराजाओं के बड़े योगदान को बदनाम करने का प्रयास करते हैं, यह भयावह है. और वर्तमान स्थिति की तुलना या समानताएं स्वतंत्रता-पूर्व भारत से करना पूरी तरह से निराधार और गलत है.”
उदयपुर के पूर्व राजकुमार लक्ष्यराज सिंह ने X.Com पर लिखा, ‘भारत के राजपरिवारों ने पूरे इतिहास में शासन में नियंत्रण और शोषण का सहारा लेने के बजाय सहयोग की भावना को अपनाया है. औपनिवेशिक ढांचे से विभाजित होने के बावजूद, राजपरिवार हमेशा अपने लोगों के रक्षक रहे हैं और उन्होंने भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने भूमि प्रबंधन में निवेश किया, सिंचाई प्रणाली का निर्माण किया, अपने लोगों के कल्याण में योगदान देने वाले बुनियादी ढांचे का विकास किया. वे हमेशा संप्रभुता के रक्षक रहे हैं.’
मैसूर रजवाड़े के वंशज और लोकसभा सांसद यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वोडयार ने राहुल गांधी के लेख की निंदा की. उन्होंने लिखा, ‘राहुल गांधी का सच्चा इतिहास के बारे में ज्ञान न होना लगातार सामने आता रहता है. आज सुबह एक लेख के माध्यम से उनका ताजा बयान, तत्कालीन रियासतों द्वारा आज के भारत के लिए किए गए योगदान, भारतीय विरासत के संरक्षण के बारे में उनकी अज्ञानता को दर्शाता है, जिसके बिना, हम आज की कई परंपराओं को खो सकते थे जिन्हें हम प्रिय मानते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात, एकीकृत भारत के निर्माण के लिए उन्होंने जो बलिदान दिए. मैं लेख में उनके द्वारा चुने गए शब्दों और उनके द्वारा किए गए आक्षेपों की कड़ी निंदा करता हूं.’
देवास के दिवंगत महाराजा तुकोजी राव पवार की पत्नी और लोकसभा नेता गायत्री राजे पवार ने X.com पर लिखा, ‘मैं राहुल गांधी के लेख की निंदा करती हूं. जिसमें भारत के महाराजाओं को बदनाम किया गया है, जो सनातन संस्कृति के स्तंभ थे. इन राजाओं ने हमारी विरासत, संप्रभुता और संस्कृति की रक्षा बड़ी व्यक्तिगत कीमत पर की और हमें “अखंड भारत” दिया. इस विरासत को नज़रअंदाज़ करना हमारी विरासत का अपमान है.’
जैसलमेर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले और भाजपा नेता चैतन्य राज सिंह ने भी राहुल गांधी की निंदा की है. उन्होंने X.com पर अपने पोस्ट में लिखा, ‘देश के ‘पूर्ववर्ती’ शाही परिवारों के संबंध में राहुल गांधी के ये बेबुनियाद आरोप अस्वीकार्य हैं. हमारे धर्म को कायम रखने में हमारे परिवारों की वीरता एवं निस्वार्थ सेवाओं को कश्मीर से कन्याकुमारी और जैसलमेर से त्रिपुरा तक पूरे भारत में लोगों द्वारा हमें दिए गए प्यार में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. बहादुर और नैतिक लोग निडर होते हैं, क्योंकि उनके पास मानवता और प्रकृति के एकीकरण के साथ कर्म योग का दृष्टिकोण होता है. शायद राहुल गांधी भूल गए हैं कि असल में भारत जोड़ने का काम किसने किया था, वे इतिहास के पन्नों में झांके.’
– भारत एक्सप्रेस
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