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Bihar Ambulance Contract: नियमों की अनदेखी…अदालत की अवमानना…नीतीश सरकार ने जदयू सांसद के दामाद को दिया एंबुलेंस का ठेका! बीजेपी ने उठाए सवाल

Bihar Ambulance Contract: इनदिनों बिहार में एंबुलेंस कांड सुर्खियों में है. विपक्षी पार्टी बीजेपी नीतीश सरकार पर एंबुलेंस के ठेके को लेकर लगातार निशाना साध रही है. बीजेपी का कहना है कि नीतीश सरकार अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है. आइये जानते हैं कि आखिर ये मामला क्या है जिसे लेकर इतना बवाल मचा हुआ है?

बता दें कि इस साल 31 मई को बिहार सरकार ने पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (PDPL) को 1,600 करोड़ रुपये के एंबुलेंस का ठेका दिया था. ठेकेदार पीडीपीएल को डायल 102 आपातकालीन सेवा के तहत 2,125 एम्बुलेंस संचालित करने के लिए अनुबंध दिया गया था. कथित तौर पर, कंपनी, पीडीपीएल को जहानाबाद के JDU सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के रिश्तेदार चलाते हैं.

दरअसल इससे पहले कंपनी की ऑडिट रिपोर्ट में कई गड़बड़ियां सामने आई थीं इसके बावजूद भी यह कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू किया गया है. कॉन्टैक्ट रिन्यू करने में पटना हाई कोर्ट की टिप्पणी को भी नजरअंदाज किया गया है. बताया जा रहा है कि 5 अप्रैल 2022 को इस कॉन्टैक्ट के लिए अप्लाई किया गया है. गड़बड़ियों के बावजूद राजद-जदयू सरकार ने पीडीपीएल के साथ अनुबंध को और पांच साल के लिए नवीनीकृत करने का फैसला किया है. इस अनुबंध के तहत पीडीपीएल पूरे राज्य में आपातकालीन एंबुलेंस चला सकती है. इसके अलावा, इस अनुबंध को और तीन साल के लिए बढ़ाने की अनुमति भी दिया गया है.

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ऑडिट रिपोर्ट में ये गड़बड़ी सामने आई थी

बता दें कि 2019 में भागलपुर और मुंगेर में जांच की गई थी. इस दौरान एंबुलेंस के अंदर एक्सपायर्ड दवाइयां पाई गई. इतना ही नहीं एंबुलेंस से माइक्रो ड्रिप्स और औक्सीजन सिलेंडर भी गायब था. इसी तरह 13 फरवरी 2020 को मुजफ्फरपुर-वैशाली में जांच की गई थी, इस दौरान 7 एंबुलेंस में AC ही काम नहीं कर रहा था, जबकि कई एंबुलेंस में एक्सपायर्ड दवाएं मिली थीं. नालंदा-नवादा में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. सुपौल-समस्तीपुर-दरभंगा में भी जांच के दौरान एक्सपायर्ड दवाइयां मिली थीं.

भाजपा ने क्या कहा है?

इस मामले को लेकर बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “जिस कंपनी को ठेका दिया गया है उसके बारे में कई विसंगतियां पाई गई हैं. जिस तरीके से फैसला लिया गया है वह गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है. बीजेपी को उम्मीद है इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी.

नियम में क्या बदलाव किया गया?

बताते चलें कि नीतीश सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि कंपनी को एंबुलेस सेवा का ठेका देने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है. नियमों के अनुसार, जब कोई कंपनी अकेले ठेके के लिए बोली लगा रही हो तो उसके पास कम से कम 3 साल में 750 एंबुलेंस चलाने का अनुभव हो. इसके साथ ही कंपनी के पास 50 एडवांस लाइफ स्पोर्ट एंबुलेश के साथ-साथ 75 सीटों वाली कॉलसेंटर भी होने चाहिए. लेकिन कथित तौर पर पीडीपीएफ ने बिहार में अकेले कभी एंबुलेंस नहीं चलाई थी और उसके पास सिर्फ 50 सीटों वाला कॉल सेंटर था.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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