भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार (17 नवंबर) को राज्य में ‘सामान्य स्थिति बहाल करने’ में सरकार की विफलता का हवाला देते हुए उससे समर्थन वापस ले लिया. साथ राज्य के हालातों पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की. एनपीपी नेता और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा (Conrad Sangma) ने एन. बीरेन सिंह (N. Biren Singh) सरकार से समर्थन वापस लेने के पीछे के कारणों एक बयान जारी किया है.
NPP के फिलहाल 7 विधायक हैं. पार्टी के इस कदम से मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को तत्काल कोई खतरा नहीं है, क्योंकि 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 37 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत है।
समर्थन वापस लेने के बाद कोनराड संगमा ने कहा, ‘हमने बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. अगर हम देखते हैं कि नेतृत्व में बदलाव हो रहा है और आगे एक सकारात्मक कदम है और अगर समाधान खोजने के लिए आगे बढ़ने की योजना है तो हम रचनात्मक रूप से सहयोग कर सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यह सुनिश्चित करने में योगदान दे सकते हैं कि शांति और सामान्य स्थिति वापस आ जाए, तो हमें काम करने में खुशी होगी, लेकिन हम स्थिति देखेंगे, अभी कहना मुश्किल है, इसलिए विशेष रूप से अभी यह बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार है, जिसके बारे में हमारी पार्टी के नेताओं, विधायकों को दृढ़ता से लगता है कि एक पार्टी के रूप में हमने विश्वास खो दिया है, और इसीलिए हमने बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन नहीं करने का फैसला किया है.’
मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) को लेकर उन्होंने कहा, ‘मणिपुर का मुद्दा एक जटिल मुद्दा है और ऐतिहासिक कारणों से वहां चीजें हमेशा से जटिल रही हैं. जाहिर है, अतीत में जो कुछ हुआ, उसने इसे और जटिल बना दिया है. करीब डेढ़ साल से चल रही हिंसा और कानून-व्यवस्था की स्थिति में कई कारकों ने मौजूदा स्थिति को जन्म दिया है. कुछ कार्रवाइयों और कुछ गैर-कार्रवाइयों ने इसे और गंभीर बना दिया है… बेशक, उस समय आपके पास सही समाधान नहीं हो सकता. पीछे मुड़कर देखना और यह कहना बहुत आसान है कि ‘आपको यह करना चाहिए था’. कुछ प्रयास हुए, लेकिन किसी तरह चीजें फिसलती रहीं.’
मणिपुर में बिगड़ते हालात पर कोनराड संगमा ने कहा, ‘अब हम उस बिंदु पर पहुंच गए हैं, जहां चीजें वास्तव में नियंत्रण से बाहर हैं. हम लगातार कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगड़ते हुए देखते हैं, लोग मर रहे हैं और लोगों को पीड़ित देखना बहुत दुखद है. यह किसी विशेष व्यक्ति को दोष देने के बारे में नहीं है, लेकिन आप अलग-अलग चीजें कर सकते थे जैसे कि गार्ड का बदलाव, (किसी व्यक्ति या सिस्टम को लाना) जिस पर लोगों का भरोसा हो. लोगों को सिस्टम और सरकार पर भरोसा होना चाहिए. जो भी शांति वार्ता या अन्य प्रयास किए गए हैं, किसी तरह से लोग आश्वस्त या सहज नहीं हैं.’
यह राजनीतिक उथल-पुथल उस दिन के बाद शुरू हुई, जब जिरीबाम नदी में एक मेईतेई महिला और दो बच्चों के शव मिलने के बाद भीड़ ने कई राज्य मंत्रियों और विधायकों के घरों को जला दिया था. संदिग्ध हमार उग्रवादियों द्वारा कथित हमले के बाद तीनों जिले के एक राहत शिविर से लापता हो गए थे. इस हमले में सीआरपीएफ की गोलीबारी में 10 संदिग्ध हमार बंदूकधारी भी मारे गए थे.
-भारत एक्सप्रेस
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