World Hepatitis Day: आज विश्व हेपेटाइटिस डे है. नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ. बारूक ब्लमबर्ग की जयंती पर उनके सम्मान में मनाया जाता है. डॉ. ब्लमबर्ग ने ही हेपेटाइटिस वायरस की खोज की थी. उन्होंने इस गंभीर वायरस के इलाज के लिए कौन-कौन से मेडिकल टेस्ट किए जाने चाहिए इसकी जानकारी दुनिया से साझा की. तब से अब तक इस पर कई खोज हुए. साल दर साल हेपेटाइटिस संक्रमण के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है और डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि स्थिति चिंतनीय है.
हेपेटाइटिस आखिर है क्या? क्यों ये दुनिया को डरा रहा है? आखिर इसका इलाज क्या है? विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हेपेटाइटिस एक वायरस है जिसके 5 स्ट्रेन्स हैं. ए,बी,सी,डी और ई. इनमें से भी विश्व में सबसे ज्यादा संक्रमण बी और सी से होता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर 30 सेकेंड में हेपेटाइटिस से 1 शख्स दम तोड़ रहा है.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार 25.4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से जबकि 5 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से ग्रसित हैं. हर साल इन बीमारियों के 20 लाख से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, हेपेटाइटिस ई हर साल दुनिया में 2 करोड़ लोगों को संक्रमित कर रहा है.
भारत की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन का एक आंकड़ा बेहद भयावह है. इसके मुताबिक भारत में 4 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से जबकि 60 लाख से 1 करोड़ 20 लाख क्रोनिक हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हैं. हेपेटाइटिस का सबसे महत्वपूर्ण कारण एचईवी (हेपेटाइटिस ई वायरस) है, हालांकि एचएवी (हेपेटाइटिस ए वायरस) बच्चों में अधिक आम है. संगठन का मानना है कि भारत में वायरल हेपेटाइटिस एक गंभीर पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम के तौर पर उभर रहा है. यह प्रभावित व्यक्ति, परिवार और स्वास्थ्य प्रणाली पर एक भारी आर्थिक और सामाजिक बोझ भी डाल रहा है.
दुनिया इससे जूझ रही है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इसकी चपेट में हैं. यही वजह है कि हर साल एक नई थीम के साथ लोगों को इसके खतरे से वाकिफ कराया जाता है. पिछली बार की थीम थी ‘वी आर नॉट वेटिंग’ है यानी हेपटाइटिस वायरस के गंभीर रूप लेने का इंतजार न करें, बल्कि समय पर बीमारी का उपचार करें. तो इस साल थीम है इट्स टाइम फॉर एक्शन यानी समय आ गया है कि इसके खिलाफ डट कर लड़ें.
सवाल उठता है कि आखिर लड़ें तो लड़ें कैसे? दिल्ली के डॉ आरपी पराशर के मुताबिक संक्रमण ज्यादातर मानसूनी सीजन में बढ़ता है. यही बात हेपेटाइटिस के लिए भी कही जा सकती है. तो सलाह यही है कि बाहर खाने से बचें, साफ पानी पिएं, कच्ची सब्जी न खाएं, जितना हो सके पका के खाएं ये साधारण से उपाय हैं खुद को इसके संक्रमण से बचाने के.
आखिर बीमारी फैलने के कारण होते क्या हैं? तो इस पर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट रोशनी डालती है. बताती है कि हेपिटाइटिस का खतरा कई कारणों से हो सकता है, जैसे कमजोर इम्यूनिटी, खानपान में लापरवाही, ड्रग्स, शराब और नशीले पदार्थों का ज्यादा सेवन करना नुकसान पहुंचा सकता है.
हेपेटाइटिस बी वायरस सबसे अधिक जन्म और प्रसव के दौरान माँ से बच्चे में फैलता है, दूसरा अहम कारण संक्रमित साथी के साथ सेक्स के दौरान रक्त या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने, असुरक्षित इंजेक्शन के संपर्क में आने से भी फैलता है.
लक्षणों की बात करें तो हेपेटाइटिस में बुखार, कमजोरी, भूख की कमी, दस्त , उलटी, पेट दर्द, गहरे रंग का पेशाब और पीला मल, पीलिया शामिल है. हालांकि हेपेटाइटिस से ग्रसित कई लोगों को बहुत हलके लक्षण होते है, वहीं कई लोगों में लक्षण नहीं दिखते.
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लक्षण दिखे या आशंका हो तो पता कैसे करें? तो हेपेटाइटिस ए, बी तथा सी की जांच के लिए पारिवारिक डॉक्टर के पास जाकर ब्लड टेस्ट करा सकते हैं. ए के लिए कोई खास इलाज नहीं है लोग खुद ब खुद ही ठीक हो जाते हैं एंडी बॉडी खुद डेवलप हो जाती है. क्रोनिक हेपेटाइटिस बी, सी दोनों को एन्टीवायरल दवाओं से ठीक किया जा सकता है. जो लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर से रोकथाम करता है. हेपेटाइटिस ए और बी को रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है. जन्म के समय शिशुओं को हेपेटाइटिस बी का टीका उनकी रक्षा करता है और हेपेटाइटिस डी से भी बचा सकता है.
-भारत एक्सप्रेस
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