Gajendra Singh Shekhawat: जोधपुर के रातानाडा स्थित पोलो ग्राउंड में शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जोधपुर महानगर की ओर से विजयादशमी उत्सव एवं शस्त्र पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेजर जनरल रानू सिंह राठौड़ रहे, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने उपस्थित सभी लोगों को संबोधित किया.
कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल, पाली सांसद पीपी चौधरी, शहर विधायक अतुल भंसाली सहित कई प्रमुख राजनेताओं ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया.
गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “आज विजयादशमी का दिन है, जो असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है. लेकिन हमारे लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह दिन और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि संघ की स्थापना का उद्देश्य देश को पुण्य, समृद्ध और गौरवमयी बनाना है.”
उन्होंने आगे बताया कि संघ की स्थापना हिंदुओं को एकत्रित कर सर्व समाज के कल्याण की आकांक्षा को लेकर की गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, और इस शताब्दी में संगठन के सभी स्वयंसेवकों को निर्धारित लक्ष्यों को लेकर कार्य करना चाहिए. उन्होंने आने वाले एक साल में संगठन के कार्य और शक्ति को और अधिक व्यापक बनाने का संकल्प लिया.
शेखावत ने आगे कहा कि विजयदशमी का यह दिन केवल रावण के दहन का दिन नहीं है, बल्कि यह एक संकल्प दिवस भी है. उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में, अपने समाज में जो बुराइयां, प्रदूषण और दूषण हैं, उन्हें समाप्त करने के लिए संकल्प लें.
इसके अलावा, नागपुर में विजयादशमी उत्सव की शुरुआत शस्त्र पूजन से हुई. इस अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन किया. कार्यक्रम में इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. के. राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. सुबह 6:15 बजे नागपुर के स्वयंसेवकों ने पारंपरिक पथ संचलन (रूट मार्च) में भाग लिया. कार्यक्रम के दौरान आरएसएस बैंड ने अपनी प्रस्तुति दी और आरएसएस कार्यालय पर संघ का ध्वजारोहण भी किया गया.
मोहन भागवत ने इस अवसर पर सभी देशवासियों को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लिया.
आपको बताते चलें, साल 1925 में विजयादशमी के दिन ही आरएसएस की स्थापना हुई थी, इसलिए विजयदशमी आरएसएस के लिए कई मायनों में अहम है. डॉ. बलराम कृष्ण हेडगेवार ने 1925 में विजयदशी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी. आज दुनिया भर के कई देशों में आरएसएस की शाखा लगती है. 99 साल के सफर में आरएसएस पर तीन बार बैन भी लग चुका है.
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