Sandeshkhali NHRC Report: पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के साथ क्या-क्या हुआ इसको लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि संदेशखाली मामले की मौके पर पहुंचकर की जांच की गई है, जिसमें अत्याचार की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिससे साफ होता है कि इन घटनाओं को रोकने में लापरवाही की गई और यही कारण है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है. रिपोर्ट में ये तक कहा गया है कि महिलाओं के साथ ही बच्चों और वृद्धों की सुरक्षा भी खतरे में डाली गई. यही वजह रही कि महिलाओं को अपना घर तक छोड़ना पड़ा. यही नही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कार्यालय में महिलाओं के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया और पीड़ितों पर पुलिस ने अपराधियों के साथ समझौता करने के लिए दबाव भी बनाया. तो वहीं परिवारवालों को अपनी युवा लड़कियों को सुरक्षित रखने के लिए गांव से दूर भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा.
बता दें कि संदेशखाली घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अपनी जांच में गंभीर आरोप लगाए हैं. बता दें कि रिपोर्ट पश्चिम बंगाल के गांव के कथित पीड़ितों के साथ की गई बातचीत पर तैयार की गई है. तो वहीं इस रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी को सौंप दिया गया है, जिसकी एक प्रति केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भेजी गई है. तो वहीं इस रिपोर्ट को लेकर टीएमसी ने एनएचआरसी को भाजपा का “फ्रंटल संगठन” बताया है और आरोप लगाते हुए कहा है कि रिपोर्ट पार्टी कार्यालय में तैयार की गई है.
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बता दें कि मानवाधिकार की इस रिपोर्ट में निलम्बित टीएमसी नेता शाहजहां शेख के करीबी सहयोगियों शिबू प्रसाद हाजरा, उत्तम सरदार और अमीर अली गाजी को मुख्य आरोपी के रूप में शामिल किया गया है. एनएचआरसी की रिपोर्ट के मुताबिक, “एक महिला ने एनएचआरसी टीम के सामने खुलासा किया कि लगभग एक साल पहले हाजरा और सरदार ने उसके साथ दो-तीन बार बलात्कार किया था. अब भी, वह इन आरोपियों के डर और सामाजिक कलंक के कारण पुलिस में बलात्कार की रिपोर्ट करने को तैयार नहीं है.” रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि “उन्होंने घटना के बारे में अपने पति को बताया, जो पार्टी कार्यालय गए लेकिन आरोपियों ने उसकी पिटाई कर दी और डर के मारे वह आजीविका कमाने के लिए बेंगलुरु चला गया.”
रिपोर्ट के मुताबिक, “एक अन्य महिला ने एनएचआरसी टीम के सामने खुलासा किया कि 2022-2023 की सर्दियों में, उसके पति को आरोपियों के सहयोगियों ने जबरदस्ती उठाया था और रात 2 बजे तक ठंड में काम करने के लिए मजबूर किया था. जब वह उसे ढूंढते हुए पार्टी कार्यालय में गई, तो उसे गलत तरीके से छुआ गया. 3-4 दिनों के बाद, उसे पार्टी कार्यालय में बुलाया गया और हाजरा और गाजी ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया. अगले दिन वह पुलिस स्टेशन गई, जहां उसे आरोपी के पास जाकर समझौता करने की सलाह दी गई. राष्ट्रीय महिला आयोग के आने के बाद, वह एक साल से अधिक के अंतराल के बाद आरोपी के खिलाफ अपना मामला दर्ज कराने में सक्षम हुई.”
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि “पीड़ितों में से एक ने खुलासा किया कि युवा महिलाओं और लड़कियों के लिए असुरक्षित माहौल के कारण अपनी किशोर लड़कियों की सुरक्षा के लिए, उसे उन्हें दूसरे स्थान पर रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए भेजना पड़ा. टीम के संज्ञान में यह भी लाया गया है कि कई और (परिवारों) ने अपनी युवा लड़कियों को अपनी सुरक्षा के लिए अन्य स्थानों पर भेज दिया है. ”
रिपोर्ट के मुताबिक, “लगभग हर पीड़ित ने एनएचआरसी टीम को बताया है कि पुलिस ने हाजरा, सरदार और उनके सहयोगियों के खिलाफ उनकी शिकायतों का जवाब नहीं दिया. चौंकाने वाली बात यह है कि उन्हें सीधे आरोपी या उनके संरक्षक शाहजहां से संपर्क करने और समझौता करने की सलाह दी गई.” रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि “आरोपियों द्वारा महिलाओं को “पार्टी बैठकों और स्वयं सहायता समूहों की बैठकों के बहाने” टीएमसी कार्यालय में बुलाया जाता था. युवा और अच्छी दिखने वाली महिलाओं को विशेष रूप से लक्षित किया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि “उन्हें संदेशखाली स्थित टीएमसी कार्यालय के कमरे के अंदर ले जाया गया और उनका यौन शोषण/सामूहिक बलात्कार किया गया. अन्य महिलाएं भोजन बनाने, कार्यालय की सफाई और तालाबों की सफाई आदि जैसे काम में लगी हुई थीं. महिलाएं टीएमसी नेताओं के डर और सामाजिक कलंक के कारण घटनाओं की रिपोर्ट करने से बचती थीं.
इस रिपोर्ट को लेकर टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष का बयान सामने आया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि “रिपोर्ट मूल रूप से भाजपा पार्टी कार्यालय में लिखी गई है. ऐसे संगठन अब भाजपा के फ्रंटल संगठन बन गए हैं. हम ऐसी रिपोर्टों पर विश्वास नहीं करते हैं.” तो वहीं इस रिपोर्ट को लेकर बंगाल की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ”जब तक मैं रिपोर्ट नहीं देख लेती, तब तक कोई टिप्पणी नहीं करुंगी.’
फिलहाल शाहजहां के साथ ही तीनों जेल में बंद चल रहे हैं. बता दें कि जनवरी की शुरुआत में शाहजहां उस वक्त सुर्खियों में आए जब उनके घर पर छापा मारने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम गई थी. इस दौरान टीम पर हमला कर दिया गया है. इसको लेकर आरोप था कि शाहजहां के समर्थकों ने ही टीम पर हमला बोला है. इसी के बाद महिलाओं के रेप और शोषण की खबर बाहर आई थी. यहां की महिला निवासियों ने आरोप लगाया कि उसके सहयोगी वर्षों से उनका यौन उत्पीड़न कर रहे थे. हालांकि 55 दिनों तक फरार शाहजहाँ को 29 फरवरी को बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर शिकायतों की जाँच सीबीआई को सौंप दी गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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