Homi Jehangir Bhabha: भारत के परमाणु प्रोग्राम के जनक वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु आज भी एक रहस्य है. 24 जनवरी, 1966 को न्यूयॉर्क जाते समय होमी जहांगीर भाभा का एक प्लेन क्रैश में निधन हो गया था.
इसके तीन महीने पहले ही होमी भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर उन्हें मौका मिले तो भारत मात्र 18 महीने के अंदर परमाणु बम बना सकता है. इनकी मौत को लेकर रहस्य तब गहराने लगा जब साल 2008 में छपी एक किताब में इस क्रैश को अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की साजिश बताया गया. इसके बाद से होमी भाभा की मौत का रहस्य और ज्यादा गहराता गया.
किताब में साजिश का जिक्र
होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु को लेकर कहा गया कि अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत के पास परमाणु शक्ति आ जाए इसलिए सीआईए ने भाभा की मौत की साजिश रची. साल 2008 में विदेशी पत्रकार ग्रेगरी डगलस की एक किताब ‘Conversation With the Crow’ में होमी भाभा की मौत के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की साजिश होने का दावा किया गया था.
इस तरह की बातों के पीछे अमेरिका की भारत को लेकर वह शंका थी जिसमें वह मानता था कि भारत इससे वंचित रहे. अमेरिका परमाणु ताकत को सिर्फ अपने पास ही रखना चाहता था. 1965 में भारत द्वारा पाकिस्तान से युद्ध जीत जीतने के बाद भारत परमाणु शक्ति की ओर तेजी से बढ़ने लगा था. यह देखकर अमेरिका चिंतित हो उठा. सीआईए अफसर रह चुके रॉबर्ट क्राउली ने अपनी किताब ‘Conversation With the Crow’ में भाभा के प्लेन क्रैश के पीछे साजिश की बात मानी थी.
एक पर्वतारोही ने भी किया था खुलासा
बात साल 2017 की है जब डैनियल रोश नाम के एक पर्वतारोही ने इस बात का दावा किया था कि उसे भाभा के क्रैश विमान के कुछ अवशेष मिले हैं. उसने दावा किया कि दो विमानों के टकराने से यह हादसा हुआ था.
रोश ने का मानना है कि भाभा का विमान एक इटालियन एयरक्राफ्ट से टकराया होगा. इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन के कम रहने पर टक्कर के बाद विस्फोट होने की आशंका कम है. रोश ने होमी भाभा को लेकर कहा था कि, ”उन्हें नहीं पता कि यह हादसा था या साजिश और भाभा भारत को पहला परमाणु बम बनाकर देने वाले थे.
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कम दिनों में ही विश्व में गूंजने लगा था भाभा का नाम
कैम्ब्रिज से पढ़ाई करने वाले डॉ. होमी जहांगीर भाभा एक जाने-माने न्यूक्लियर फिजिसिस्ट थे. भाभा कम समय में ही अपने काम को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते थे. वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान होमी जहांगीर भाभा जब भारत आए तो भारत से उन्हें यहां से इतना लगाव हुआ कि फिर वापस लौट कर नहीं जा पाए.
होमी भाभा ने भारत में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में सीवी रमन की लैब से काम करना शुरू किया था. अपने आगे के सफर में वे मुंबई में स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के फाउंडर और डायरेक्टर बने.
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