हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह बागी नेताओं ने उन्हें अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. 29 फरवरी को राज्य के स्पीकर ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले छह कांग्रेी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. जिन छह विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया था, वे थे- सुधीर शर्मा, राजिंदर राणा, दविंदर के भुट्टो, रवि ठाकुर, चैतन्य शर्मा और इंदर दत्त लखनपाल.
कांग्रेस विधायकों ने किया क्रॉस वोटिंग
2022 के विधानसभा चुनावों के बाद, 68 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक थे, जबकि भाजपा के पास 25 विधायक थे. बाकी तीन सीटों पर निर्दलीयों का कब्जा है. इन बागी विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की है. हाल ही में राज्यसभा चुनाव में, भाजपा, जिसके पास केवल 25 विधायक हैं, 9 अतिरिक्त वोट हासिल करने में सफल रही. इस प्रकार राज्यसभा में दोनों पार्टियों को 34-34 मिले, जिसमें तीन निर्दलीय और छह कांग्रेस विधायकों ने भाजपा के लिए क्रॉस वोटिंग की.
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सरकार पर मंडरा रहा था खतरा
वहीं इसमें लाटरी से परिणाम तय होने के बाद भाजपा के हर्ष महाजन की जीत हुई. कांग्रेस नेताओं की आलोचनात्मक टिप्पणियों और हिमाचल प्रदेश की राज्य इकाई के भीतर आंतरिक दरार से प्रभावित हुए बिना, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने शनिवार को पुष्टि की कि उन्हें अभी भी 80 प्रतिशत विधायकों का समर्थन प्राप्त है. सुक्खू ने कहा, “भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों की खरीद-फरोख्त की और क्रॉस वोटिंग कराई. आरोप लगाना विपक्ष का काम है और वे यही करेंगे.”
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