छत्तीसगढ़ के आईपीएस गुरजिंदर पाल सिंह की अनिवार्य सेवानिवृति को रद्द करने के मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर केंद्र सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह आदेश दिया है. गुरजिंदर पाल सिंह भ्र्ष्टाचार, जबरन वसूली और देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं. उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति को रद्द करने का फैसला केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने सुनाया था. इसके बाद मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा और हाई कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा था. केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने उनकी नौकरी को बहाल कर दिया था. दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश सेवा नियमों के संदर्भ में सार्वजनिक हित में विधिवत जारी किया गया.
केंद्र ने कहा था कि कैट ने आपराधिक शिकायतों के संबंध में साक्ष्य का मूल्यांकन, वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट को कमतर करने और अधिकारी के खिलाफ विभिन्न अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिहाज से अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है. गुरजिंदर पाल सिंह 1994 बैच के आईपीएस है.
प्रदेश के अलग-अलग जिलों में एसपी भी रह चुके है. इसके अलावा बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर जिले के आईजीपी भी रह चुके है. गुरजिंदर पाल सिंह ईओडब्ल्यू और एंटी करप्शन ब्यूरो के मुखिया भी रह चुके है. सरकार ने उन्हें एसीबी से हटाकर पुलिस अकादमी में पदस्थ किया था. गुरजिंदर पाल सिंह के ठिकानों पर छापे में 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति का खुलासा हुआ था. जिसमें 2 किलो सोना समेत 16 लाख रुपये कैश भी बरामद हुए थे.
-भारत एक्सप्रेस
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