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आरजी कर मेडिकल कॉलेज केस: सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की रिपोर्ट, सबूत नष्ट करने और भ्रष्टाचार का आरोप

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को जांच से संबंधित अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. सीबीआई ने कोर्ट से कहा कि अस्पताल में सबूत नष्ट करने और भ्रष्टाचार की आशंका पाई गई है. जिसपर सीजेआई ने सीबीआई से पूछा- ट्रायल किस स्टेज में है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में सुनवाई दिन प्रतिदिन हो रही है. सीबीआई को उम्मीद है कि सुनवाई अगले हफ्ते तक समाप्त हो जाएगी.

पीड़िता के माता-पिता को न्याय की उम्मीद

सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आरोपियों की तीन श्रेणियां है-पहला रेप व हत्या, दूसरा घटना का जिम्मेदार और तीसरा भ्रष्टाचार का पहलू. वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि हम सीबीआई की पूरक आरोपपत्र दाखिल होने की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पीड़िता के माता-पिता न्याय की उम्मीद कर रहे हैं. जिन लोगों ने भी इसमें भूमिका निभाई है. वे उम्मीद कर रहे हैं कि सीबीआई खुलासा करेगी.

पश्चिम बंगाल सरकार की मंजूरी का इंतजार

कोर्ट ने पूछा कि अस्पताल में अनियमितता वाले हिस्से पर अलग से मुकदमा चलाया गया? सीजेआई ने पूछा क्या यह उसी कोर्ट के सामने मामला नहीं है? एसजी तुषार मेहता ने कहा कि चार्जशीट दायर की गई है, लेकिन अलग-अलग अदालत में. एसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई दो सरकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रही है.

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कोर्ट ने NTF से 12 रिपोर्ट मांगा

सीजेआई ने कहा कि एनटीएफ की सिफारिशों को हमारे सामने फाइल करने दीजिए. उसके बाद केंद्र और राज्य सरकार को तय करने दीजिए कि कौन इसे देखेगा. सीजेआई ने कहा कि मामले में सोमवार से गुरुवार तक रोजाना सुनवाई की जा रही है. सुनवाई अगले महीने तक खत्म होने की संभावना है. कुल मिलाकर 81 गवाहों से पूछताछ की जानी है. कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स फोर्स को निर्देश दिया है. कोर्ट ने NTF से 12 रिपोर्ट मांगा है. कोर्ट 17 मार्च को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा.

स्पतालों में सुरक्षा में सुधार के लिए सिफारिश

पिछली सुनवाई में राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने कहा था कि चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए अलग से केंद्रीय कानून होना चाहिए. राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने कहा था कि विभिन्न राज्यों ने मेडिकल प्रतिष्ठानों में हिंसा से निपटने के लिए विशेष रूप से कानून बनाए है. एनटीएफ की रिपोर्ट में यह भी बताया था कि 24 राज्यों ने मेडिकल पेशेवरों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए विशेष कानून पारित किए हैं. एन टी एफ ने अस्पतालों में सुरक्षा में सुधार के लिए सिफारिश भी की थी.

-भारत एक्सप्रेस

गोपाल कृष्ण

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