सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिंग वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से डाले गए सभी वोट का ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) के साथ 100 प्रतिशत मिलान करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
अदालत ने कहा कि वह चुनावों के लिए नियंत्रक प्राधिकारी नहीं है और एक संवैधानिक प्राधिकरण चुनाव आयोग के कामकाज को निर्देशित नहीं कर सकता है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि वह महज संदेह के आधार पर हम कार्रवाई नहीं कर सकते.
पीठ ने चुनाव आयोग के एक अधिकारी से ईवीएम की कार्य-प्रणाली के संबंध में पांच प्रश्न पूछे थे, जिनमें यह प्रश्न भी शामिल है कि ‘ईवीएम में लगे ‘माइक्रोकंट्रोलर’ को फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है या नहीं?’
वरिष्ठ उप-निर्वाचन आयुक्त नीतेश कुमार व्यास ने इससे पहले ईवीएम की कार्य-प्रणाली के बारे में अदालत में प्रस्तुतिकरण दिया था. पीठ ने उन्हें दिन में दो बजे प्रश्नों के उत्तर देने के लिए बुलाया था.
पीठ ने कहा था कि उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत है, क्योंकि आयोग द्वारा ईवीएम के बारे में ‘बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्नों’ (एफएक्यू) पर दिए गए उत्तरों को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है.
पीठ ने कहा, ‘हमें कुछ संशय है और स्पष्टीकरण की जरूरत है और इसलिए हमने मामला निर्देशों के लिए सूचीबद्ध किया है. हम अपने निष्कर्षों में तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं होना चाहते, बल्कि पूरी तरह सुनिश्चित होना चाहते हैं.’
इससे पहले भी ईवीएम के बारे में आशंकाओं के बीच याचिकाओं में ईवीएम पर डाले गए प्रत्येक वोट को वीवीपैट पर्चियों के साथ सत्यापित करने का निर्देश देने की मांग की गई है. वर्तमान में यह क्रॉस-सत्यापन प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में रैंडम तरीके से चुनी गईं पांच ईवीएम के लिए किया जाता है.
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि कई यूरोपीय देश भी ईवीएम का इस्तेमाल करने के बाद फिर से बैलेट पेपर से मतदान पर लौट चुके हैं. इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि देश में चुनाव कराना बड़ी चुनौती है और कोई भी यूरोपीय देश ऐसा नहीं कर सकता.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता होनी चाहिए. कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाएं गए कदमों के बारे में विस्तार से बताने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि यह एक चुनावी प्रक्रिया है. इसमें पवित्रता होनी चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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