उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए संबंधित विभाग के प्रधान सचिव को अगली सुनवाई में कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि 4 महीने बीत गए, हमने आपको 2 महीने का समय दिया और अब भी आप याचिका पर फैसला करने के लिए 2 महीने की अतिरिक्त मांग कर रहे है.
यूपी सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि हम मामले में जांच कर रहे हैं, लिहाजा कुछ दिन के लिए और मोहलत दे दिया जाए. जिसपर जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम उस सिस्टम को सुधारना चाहते हैं जिसमें आप गलत हो रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि 19 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान संबंधित विभाग के प्रधान सचिव वीसी के माध्यम से उपस्थित रहें.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2022 को आदेश दिया था कि कई उम्रकैद की समय पूर्व रिहाई के आवेदनों पर तीन महीने के भीतर अंतिम निर्णय लें, लेकिन इस आदेश के कई महीने हो गए. इसके बावजूद कई कैदियों की समय से पहले रिहाई की याचिकाओं पर अभी तक फैसला नहीं किया गया है. सितंबर 2022 में समय पूर्व रिहाई से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई बंदी समय पूर्व रिहाई की एलिजबिलिटी पूरी करता है तो बिना एप्लिकेशन की भी उसकी रिहाई पर विचार किया जाए. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि जिन कैदियों के आवेदन मिले है, उन पर तेजी से काम किया जाए.
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कोर्ट ने DLSA को निर्देश दिया था कि जेल ऑथोरिटी के साथ मिलकर सभी एलिजिबल कैदियों के लिए स्टेट्स तैयार करें. बता दें कि 25 मार्च 2022 को कोर्ट ने सभी 12 याचिकाकर्ता कैदियों को जमानत देते हुए अपने आदेश में कहा था कि ये सभी करीब 14 वर्ष की सजा काट चुके हैं और इनकी जमानत याचिकाएं वर्षो से हाई कोर्ट में लंबित हैं. ऐसे में सभी याचिकाकर्ताओं को जमानत दी जाती है. कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तो को पूरा करने पर याचिकाकर्ता कैदियों को जमानत पर रिहा किया जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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