पश्चिम बंगाल सरकार को 77 समुदायों को ओबीसी में शामिल करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से आरक्षण देने का आधार से संबंधित जानकारी मांगी है. जिन 77 समुदायों को ओबीसी का दर्जा दिया गया है, उसमें अधिकतर मुस्लिम है. कोर्ट ने उस रिकॉर्ड को पश्चिम बंगाल सरकार से तलब किया है. जिसके आधार पर ओबीसी का दर्जा दिया गया है. कोर्ट ने ओबीसी सूची में शामिल जातियों के सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन और नौकरियों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में मात्रात्मक डेटा मांगा है.
कोलकाता हाई कोर्ट ने राज्य के करीब 1.2 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द कर दिया था. बता दें कि कोलकाता हाई कोर्ट में राज्य के आरक्षण अधिनियम 2012 के प्रावधानों को चुनौती दो गई थी. इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश दिया था. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने दावा किया कि 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में ओबीसी के तहत सूचीबद्ध व्यक्तियों की संख्या पांच लाख से अधिक होने का अनुमान है.
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हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किसी भी नौकरी आरक्षण या अन्य आरक्षण के लिए नहीं किया जा सकता है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाई कोर्ट द्वारा दिये गए आदेश पर आपत्ति जताई थी. जिसके बाद राज्य सरकार और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
-भारत एक्सप्रेस
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