भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार दलित अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 सप्ताह बाद सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को अतिरिक्त समय दे दिया है.
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने कई राज्यों में प्रमुख वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे थे और माओवादियों से संपर्क होने के संदेह में दलित अधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग सहित आधे दर्जन कार्यकर्ताओ को गिरफ्तार किया था. इन गिरफ्तारियों को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ताओ ने जबर्दस्त विरोध किया था.
पुलिस ने इस छापेमारी के दौरान प्रमुख तेलुगु कवि वरवरा राव को हैदराबाद और वेनर्न गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था, जबकि ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद और नागरिक अधिकारों के कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस के हलफनामे के मुताबिक गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता आपराधिक साजिश का हिस्सा थे और वे प्रतिबंधित भाकपा ( माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं, जिन्होंने एलगार परिषद के बैनर तले सार्वजनिक बैठकों का आयोजन किया था. बता दें कि पुणे के सेशंस कोर्ट ने 6 आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था.
जिन आरोपियों को सेशंस कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज किया था उसमें वरवरा राव, रोना विल्सन, शोभा सेन, सुरेंद्र गाडगिल, महेश राउत और सुधीर धावले शामिल है. बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंचा और हाईकोर्ट ने सुरेंद्र गाडगिल, सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंज़ाल्वेस और अरुण फरेरा सहित सभी को जमानत देने से इनकार कर दिया था. बाद में साहित्यकार गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी. 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में आयोजित सभा के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें एक कि मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे.
-भारत एक्सप्रेस
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