हरियाणा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्त की बेंच सुनवाई करेगी. मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि यह याचिका जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच में लगा था, जिसे वापस ले लिया गया था. जिसके बाद सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले को जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के पास भेज दिया है. कोर्ट 20 जनवरी के बाद इस मामले में सुनवाई करेगा.
पांच बार के विधायक रहे करण सिंह दलाल ने याचिका में चुनाव आयोग को ईवीएम के चार कम्पोनेंट (कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट, वीवीपीएटी और सिंबल लोडिंग यूनिट) की मेमोरी/ माइक्रोकंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए दिशा निर्देश जारी करने की मांग की गई है. याचिका में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत संघ मामले में शीर्ष अदालत द्वारा पहले दिए गए फैसले का अनुपालन करने की मांग की गई है. दलाल और सिंगला ने कहा है कि उनकी याचिका में चुनाव परिणामों को चुनौती नही दी गई है. बल्कि ईवीएम सत्यापन के लिए एक मजबूत तंत्र बनाए जाने का अनुरोध किया गया है. याचिका में यह भी मांग की गई है कि यह प्रक्रिया 8 सप्ताह के भीतर पूरी की जाए. याचिका में कहा गया है कि यह मामला देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनावों को प्रभावित करता है.
इसलिए इसे तत्काल और निर्णायक रूप से हल किया जाना चाहिए. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ईवीएम के चार घटकों की इस्तेमाल मेमोरी/माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए कोई प्रक्रिया नही जारी की है. यह चुनाव आयोग की किसी भी प्रकार की जांच से बचाने की मांग की इच्छा को दर्शाता है. बता दें कि कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव में ईवीएम की गड़बड़ी का दावा करते हुए आयोग से 13 अक्टूबर को शिकायत की थी. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा था कि 26 सीटों पर मतगणना के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी पाई गई. चुनाव आयोग ने 29 अक्टूबर को कांग्रेस की शिकायत को खारिज कर दिया था.
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आयोग ने 1642 पेज के जवाब में कांग्रेस के आरोपों को निराधार, गलत और तथ्यहीन बताया था. चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा था कि मतदान और मतगणना जैसे संवेदनशील समय के दौरान गैरजिम्मेदाराना आरोप लगाने से अशांति और अराजकता पैदा हो सकती है. कांग्रेस के कहा कि चुनाव आयोग ने खुद को क्लीन चिट दी है. हमें नही पता कि आयोग को कौन सलाह दे रहा है. लेकिन ऐसा लगता है कि आयोग यह भूल गया है कि यह. संविधान के तहत स्थापित निकाय है. चुनाव आयोग ने पिछले एक साल में पांच मामलों का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी को नसीहत दी थी और कहा था कि आरोप लगाने में सावधानी बरतें और बिना किसी सबूत के इलेक्टोरल ऑपरेशन पर आदतन हमला करने से बचें.
भारत एक्सप्रेस
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