वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को कहा कि भारत वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने 11.1 लाख करोड़ रुपये ($131.72 बिलियन) के पूंजीगत व्यय लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगा. आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि खाद्य कीमतें एक समस्या क्षेत्र हैं, लेकिन इसके अलावा मुद्रास्फीति कोई चुनौती नहीं है.
अक्टूबर में भारत में खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीनों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जिसका आंशिक कारण खाद्य तेल, प्याज और टमाटर की अधिक कीमतें थीं. भारत सरकार का बुनियादी ढांचा व्यय, जो दुनिया की सबसे तेज आर्थिक विकास दरों में से एक के लिए महत्वपूर्ण है, राष्ट्रीय चुनावों के कारण चालू वर्ष में धीमा रहा है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल और सितंबर के बीच सरकार ने 2024-25 के लिए 11.1 लाख करोड़ रुपये के अपने बजट लक्ष्य का सिर्फ 37% खर्च किया, जबकि पिछले साल के लक्ष्य का 49% खर्च किया गया था.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि भले ही सितंबर तिमाही में धीमी हुई है, लेकिन कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष में 6.5 से 7.0 प्रतिशत की वृद्धि दर में ज्यादा गिरावट का जोखिम नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘हमने वर्ष की शुरुआत आर्थिक समीक्षा में 6.5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि के अनुमान के साथ की. मुझे इसके नीचे जाने का कोई महत्वपूर्ण जोखिम नहीं दिख रहा है. दूसरी तिमाही के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि कुछ उत्पादों या कुछ सेवाएं उसी स्तर पर नहीं हो सकती हैं जहां वे लगभग एक साल पहले या दो तिमाहियों में थीं.’
वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जून अवधि में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही है. हालांकि, यह पांच तिमाहियों में सबसे धीमी वृद्धि है, लेकिन इस वृद्धि के साथ भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत रही थी.
-भारत एक्सप्रेस
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