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‘पहाड़ों में न जाएं, पहाड़ खुद नीचे आ रहे हैं’: सोलन में धराशाई हुआ चरनिया पुल तो कुल्लू और मनाली के बीच हाईवे ही गायब!

हिमाचल प्रदेश से लेकर तमाम पहाड़ी राज्यों में मौसम का कहर लगातार बरप रहा है. कहीं पहाड़ टूटकर गिर रहे हैं, तो कहीं उफान मारती नदियों में पुल और हाईवे जल-समाधि ले रहे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर एक कथन बहुत ज्यादा प्रचलित हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि “आप पहाड़ों में न आएं, पहाड़ खुद नीचे आ रहे हैं”. दरअसल, सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो देखने के मिले हैं, जिनमें लैंड-स्लाइड और चट्टानों के खिसकने का खौफनाक मंजर शामिल है. कई जगहों पर तो लोग बाल-बाल बचते दिखाई दिए. फिलहाल, हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां पर बारिश का कहर जारी है. राज्य के कई लाइफ-लाइन माने जाने वाले पुल बह चुके हैं.

सोलन में चंडीगढ़ और हरियाणा को जोड़ने वाला चरनिया पुल भी पानी की तेज लहरों के आगे नहीं टिक सका और इसने जल-समाधि ले ली. इस पुल के ध्वस्त होने से सोलन के इस हिस्से का संपर्क बाकी जगहों से कट चुका है.

मंडी-कुल्लू-शिमला को जोड़ने वाले हाईवे क्षतिग्रस्त

अक्सर टूरिज्म के लिए मशहूर सेंटर कुल्लू और मनाली तथा शिमला की राहें ख़तरों से भर चुकी हैं. बाढ़ और लैंड-स्लाइड के चलते इन क्षेत्रों को जोड़ने वाले नेशनल हाईवेज बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. NHAI के मुताबिक अभी तक नेशनल हाईवे क्षतिग्रस्त होने से करीब 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. कुल्लू से मनाली के बीच नेशनल हाईवे का एक बड़ा हिस्सा गायब हो चुका है. ब्यास नदी का उफान अभी चरम पर है. फिलहाल, असल नुकसान का आकलन पानी कम होने पर किया जा सकेगा. एनएच पर सबसे ज्यादा नुकसान कीरतपुर-मनाली रूट पर हुआ है.

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लंबा ट्रैफिक जाम

ब्रिज टूटने और सड़कों के क्षतिग्रस्त होने के चलते कई जगहों पर मुसाफिर रास्ते में ही घंटों-घंटों फंसे रह जा रहे हैं. हर रूट पर जाम की समस्या देखी जा रही है. पिंजौर-नालागढ़ एनएच पर चरनिया पुल ध्वस्त होने से यात्रा बाधित है. वहीं, शिमला-मटौर एनएच पर घंडल पुल के पास भू-स्खलन से भारी वाहनों की आवाजाही ठप है. शिमला-चंडीगढ़ एनएच पर भी भू-स्खलन काफी जगहों पर हुआ है. इसके अलावा शिमला-चंडीगढ़ एनएच पर भी पत्थरों के गिरने से ट्रैफिक जाम की समस्या देखी जा रही है.

हिमाचल को 3000 करोड़ रुपये का नुकसान

हिमाचल प्रदेश में बारिश और बाढ़ के चलते 10 जुलाई तक नुकसान का आंकलन प्रदेश सरकार ने किया है. प्रदेश सरकार के मुताबिक सूबे को तकरीबन 3000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र की मोदी सरकार से गुहार लगाई है और इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है.

-भारत एक्सप्रेस

Amrit Tiwari

Editor (Digital)

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