UP News: जुलाई से सत्र शुरू होने के बाद से ही बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों के लिए शिक्षक घर-घर जाकर शिक्षा की अलख जगा रहे हैं तो वहीं बच्चे स्कूल को न छोड़ें इसके लिए भी कवायद शुरू कर दी गई है. इस बार नीदरलैंड की तर्ज पर स्कूलों से ड्रॉपआउट (स्कूल छोड़ने वाले) बच्चों को चिह्नित किया जा रहा है और इसकी शुरुआत देवीपाटन मंडल के सभी परिषदीय विद्यालयों से होने जा रही है. यहां पर नीदरलैंड के अर्ली वार्निंग सिस्टम (अग्रिम चेतावनी व्यवस्था) को लागू किया जाएगा और अभिभावकों को इस अभियान से जोड़कर बच्चों को स्कूल लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इसी के साथ ये भी कोशिश की जाएगी कि बच्चे स्कूल में दाखिला लेने के बाद फिर से स्कूल छोड़कर न चले जाएं.
बता दें कि बच्चों के स्कूल छोड़ कर जाने से रोकने के लिए बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के नेतृत्व में मार्च के अंत में, एससीईआरटी के अधिकारियों व शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल नीदरलैंड गया था. जहां सभी ने अर्ली वार्निंग सिस्टम के बारे में जानकारी एकत्र की और फिर प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के हित में इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. इस सिस्टम के जरिए जो बच्चे स्कूल बीच में ही छोड़कर जाएंगे, उसकी तत्काल जानकारी मिल जाएगी और फिर से शिक्षक उन बच्चों को स्कूल लाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
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बता दें कि इस सिस्टम की शुरुआत देवीपाटन मंडल के गोंडा, बहराइच, बलरामपुर व श्रावस्ती जिलों से होने जा रही है. इसके तहत नियमित रूप से विद्यालय प्रबंध समिति की हर महीने बैठक, मां समूह की बैठक, ग्राम सभा की बैठक और शिक्षकों का गांव भ्रमण किया जाएगा. यही नहीं, स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को बेसिक शिक्षा विभाग यूनीसेफ के सहयोग से चिह्नित करेगा और फिर उनको वर्गीकृत कर विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजना से जोड़ेगा. इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए विभाग देवीपाटन मंडल के चार जिलों के ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों, संदर्भदाताओं और शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहा है. इसके तहत ब्लॉक के सभी एआरपी को दो दिन का प्रशिक्षण जिला मुख्यालय पर राज्य स्तर पर संदर्भदाताओं की ओर से दिया जाएगा और फिर प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद एआरपी ब्लॉक स्तर पर प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षण देंगे.
इस सिस्टम को लेकर महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनन्द ने बताया कि, ग्रामीण क्षेत्र में इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने में ग्राम सभा और शहरी क्षेत्र में नगर निगम का सहयोग लिया जाएगा. उन्होंने मीडिया को जानकारी दी कि, पार्षदों की सहयोग से अभिभावकों को ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जाएगा. इसी के साथ स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को लेकर विजय किरन आनन्द ने बताया कि, “स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में कमी और स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को सामुदायिक सहभागिता से रोकने व कम करने के लिए यह व्यवस्था शुरू की जा रही है.” इस व्यवस्था को लेकर आगे कहा कि, इसे देवीपाटन मंडल में शुरू किया जा रहा है और धीरे-धीरे कर इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा.
-भारत एक्सप्रेस
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