UP News: महोबा के क्रशर कारोबारी को आत्महत्या के लिए उकसाने व भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों से घिरे 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार को बर्खास्त कर दिया गया है. मणिलाल पाटीदार का नाम IPS अधिकारियों की सूची से हटा दिया गया है. शायद यूपी में बीते दो दशकों से अधिक समय में यह पहला मामला है, जब आपराधिक मामले में किसी आइपीएस अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई की गई है और उन्हें सेवा से बाहर कर दिया गया है.
मालूम हो कि मूलरूप से राजस्थान के डूंगरपुर निवासी मणिलाल पाटीदार लम्बे समय से लखनऊ जेल में अपराधियों के साथ बंद हैं. उन पर महोबा के क्रशर कारोबारी को आत्महत्या के लिए उकसाने सहित कई आरोप लगे हैं. यूपी सरकार ने जून 2022 में पाटीदार को बर्खास्त किए जाने की सिफारिश की थी, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति के अनुमोदन के उपरांत 29 दिसंबर, 2022 को बर्खास्त कर दिया था. वहीं अब यूपी सरकार ने आईपीएस पाटीदार पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें आईपीएस अधिकारियों की सूची से भी बाहर कर दिया.
महोबा के तत्कालीन एसपी रहे मणिलाल पाटीदार को शासन ने नौ सितंबर, 2020 को निलंबित कर दिया था. उन पर 2020 मे सितंबर के महीने में क्रशर कारोबारी को आत्महत्या के लिए उकसाने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था. इसी महीने कारोबारी की जान गई थी.
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बता दें कि पाटीदार के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर भी कई बार सवाल उठे थे. इसी वजह से विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद उसके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस की जांच बिठाई गई थी. ईडी ने भी पाटीदार के विरुद्ध प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की थी. इस मामले में अगर सूत्रों की मानें तो ईडी ने पाटीदार की करीब 50 करोड़ रुपये की संपत्तियों की जानकारी जुटाई थी. इस सम्बंध में जानकारी सामने आई थी कि, इनमें से तमाम सम्पत्तियां तो उसके नाते-रिश्तेदारों के नाम हैं और कई बेनामी संपत्तियां भी हैं. पाटीदार की सम्पत्तियों की बात करें तो साम्राज्य इतना फैला था कि राजस्थान और गुजरात में भी उसने खूब संपत्तियां जोड़ी थी.
इसकी भी जानकारी ईडी को लगी थी. विजिलेंस जांच में भी पाटीदार का क्रशर व्यापारियों से वसूली के लिए अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के तबादलों का खेल खेलने से जुड़ी तमाम जानकारियां मिली थीं. वहीं कई वीडियो भी वायरल हुए थे, जिसमें पीड़ितों ने पाटीदार के भ्रष्ट कैरेक्टर का भी जिक्र किया था. उन पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की निर्माण सामग्री ढोने के काम में लगे ठेकेदारों के उत्पीड़न के भी गंभीर आरोप हैं.
करीब दो साल तक फरार रहने के बाद पाटीदार को पुलिस ने भगोड़ा घोषित कर दिया था, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी, फिर पाटीदार ने 15 अक्टूबर, 2022 को लखनऊ कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था.
-भारत एक्सप्रेस
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