UP Police: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से एक दर्दनाक खबर सामने आ रही है. एक सिपाही ने काफी वक्त से अपनी गर्भवती पत्नी के इलाज के लिए छुट्टी की अर्जी लगाई हुई थी, लेकिन इसे मंजूर करने में इतनी देर कर दी गई कि उनकी बीवी और नवजात की मौत हो गई.
इसको लेकर सिपाही ने सोशल मीडिया पर एक दर्दभरा नोट लिखा है, ‘मुझे माफ करना मैं कुछ नहीं कर पाया… अब एक महीने का अवकाश किस काम का.’ सिपाही के इस पोस्ट को जो भी पढ़ रहा है, उसकी आंखें नम हो जा रही हैं. इस घटना के बाद से ही सिपाही के घर पर मातम पसरा हुआ है.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, सिपाही विकास निर्मल जिले के रामपुरा थाने में तैनात हैं. आरोप है कि थाना प्रभारी ने सिपाही को समय पर छुट्टी नहीं दी.
घटना को लेकर विकास के साथी सिपाहियों का कहना है कि विकास के साथ गलत हुआ है. सीनियर अधिकारी अपने पद का गलत फायदा उठाते हैं. विकास गर्भवती पत्नी के इलाज के लिए एक महीने की छुट्टी मांग रहे थे लेकिन उनको छुट्टी नहीं दी गई. विकास को छुट्टी तब मिली जब खबर मिली कि उनकी पत्नी और नवजात बच्ची की मौत हो गई है.
साथी सिपाहियों ने बताया कि तब हमदर्दी जताने के लिए थाना प्रभारी अपनी गाड़ी से सिपाही को उसके गृह जनपद मैनपुरी ले गए थे. विकास अपनी नवजात बेटी व पत्नी को मृत देखकर बेहोश होकर गिर पड़े थे.
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बता दें कि सिपाही विकास निर्मल 2018 बैच के मैनपुरी जिले के कुरावली थाना क्षेत्र के बेलाहार के रहने वाले हैं. उनकी तैनाती रामपुरा थाने में है. उनकी पत्नी ज्योति मुंबई में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) में कॉन्स्टेबल थीं. पत्नी गर्भवती होने के कारण इन दिनों गांव में परिजनों के साथ रह रही थीं. प्रसव का समय पास होने के कारण विकास एक महीने से रामपुरा थाना प्रभारी से अवकाश मांग रहे थे.
साथियों ने बताया कि विकास ने चार बार लिखित रूप से छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन उसे मंजूर नहीं किया गया. बीते शनिवार (20 अप्रैल) को दोनों की मौत होने के बाद जैसे ही इसकी सूचना विकास को मिली तो वे रोने लगे और उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी. इसके बाद हमदर्दी दिखाने के लिए प्रभारी अपनी गाड़ी से विकास को उसके गांव ले गए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार (19 अप्रैल) को जब पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजनों ने विकास को सूचना दी. इसके बाद विकास ने फिर से छुट्टी मांगी तो थाना प्रभारी ने छुट्टी नहीं दी. इसके बाद परिजन उनकी पत्नी ज्योति को लेकर कुरावली सीएचसी पहुंचे, जहां ज्योति ने एक बच्ची को जन्म दिया, लेकिन कुछ ही देर बाद दोनों की तबीयत बिगड़ने लगी तो उनको मैनपुरी रेफर कर दिया गया.
परिजन मैनपुरी ले गए, वहां गंभीर हालत होने पर आगरा के लिए रेफर कर दिया गया. हालांकि रास्ते में ही दोनों की मौत हो गई. यह जानकारी होने पर एसपी ने विकास का एक महीने की छुट्टी मंजूर कर दी.
पत्नी और बच्ची की मौत के बाद सिपाही फूट-फूट कर रोया और मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब एक महीन के अवकाश का वो क्या करेगा. विकास ने बताया कि पिछले दिनों ज्योति ठीक थी, लेकिन 9वां महीना शुरू होने पर वह आने के लिए कह रही थी, तभी से वह थाना प्रभारी को अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र दे रहे थे, लेकिन उसे मंजूरी के लिए आगे नहीं बढ़ाया गया.
सिपाही की पत्नी और नवजात बच्ची की मौत के मामले ने सोशल मीडिया से लेकर हर जगह तूल पकड़ लिया है. इसे देखते हुए यूपी पुलिस में हड़कंप मच गया है. एएसपी असीम चौधरी का कहना है कि मामले में थाना प्रभारी दोषी पाए गए हैं. उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि वैसे विकास बीच-बीच में 25 दिन की छुट्टी ले चुके थे. पूरे मामले की जांच में पाया गया कि सिपाही ने थाना प्रभारी अर्जुन सिंह से छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र दिए थे, लेकिन उन्होंने उसके प्रार्थना पत्र को आगे नहीं बढ़ाया.
इस घटना को देखते हुए एसपी डॉ. ईरज राजा ने रविवार को एक लिखित निर्देश जारी करते हुए कहा है कि सीओ, एसओ किसी भी सिपाही को छुट्टी देने के लिए अनावश्यक रूप से परेशान न करें. 10 से 12 बजे तक प्रार्थना पत्र थाना प्रभारी व क्षेत्राधिकारी कार्यालय तक पहुंचाएं और क्षेत्राधिकारी शाम 6 बजे तक संस्तुति के साथ उसे आगे भिजवाएं.
उन्होंने ये भी कहा है कि अगर शाम 6 बजे तक थाना प्रभारी और क्षेत्राधिकारी प्रार्थना पत्र को आगे नहीं बढ़ाते हैं तो उसे स्वयं ही अग्रसारित माना जाएगा. आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए.
-भारत एक्सप्रेस
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