UP Politics: लोकसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाकर वोटर साधने वाली सपा प्रमुख अखिलेश यादव की इस चाल पर भाजपा ने पानी फेर दिया है. सांसद सुब्रत पाठक के पहले धार्मिक जनगणना की बात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.
बता दें कि हाल ही में सपा राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य की जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाजपा सरकार को घेरा था और कहा था कि जब बिहार में ये जनगणना हो सकती है तो फिर यहां क्यों नहीं? इसी के बाद से ये मुद्दा राजनीति में गरमाया हुआ है. तो वहीं भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की अगले लोकसभा चुनाव से पहले की इस रणनीति पर ब्रेक लगा दिया है और सपा के पूरे प्लान पर पानी फेर दिया है.
पत्रकारों से बात करते हुए जातिगत जनगणना की मांग पर बीजपी के सांसद सुब्रत पाठक ने कहा कि “ठीक है, अखिलेश जी जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं तो मैं उसमें धार्मिक जनगणना की मांग जोड़ता हूं, क्योंकि हिंदुस्तान का जब विभाजन हुआ था और पाकिस्तान बना था तो संप्रदाय के आधार पर हुआ था. उस समय देश में 7% अल्पसंख्यक थे, अब बढ़कर कितने हैं? कितने मुस्लिम हैं, कितने ईसाई हैं और इनकी भी एक जनगणना हो फिर इसके बाद जाति की गणना हो. ताकि लोगों को ये मालूम हो कि जिन अधिकारों की हम मांग कर रहे हैं उन अधिकारों के प्रति हमारे दूसरे धर्म के लोग हमारी जाति से उनकी संख्या कितनी अधिक है. तो लोगों को ये समझ आए कि अगर वो 100 हैं तो हम कितने हैं, तो पहले धार्मिक जनगणना हो फिर जाति जनगणना हो.”
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बता दें कि यूपी में जातिगत जनगणना को लेकर सियासत तेज हो गई है. अखिलेश यादव ने जहां कहा है कि राज्य में उनकी सरकार बनने पर जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी. वहीं भाजपा सांसद ने पहले धर्म की गणना कराने की बात कही है. मालूम हो कि हाल ही में अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि, “भाजपा जनता का ध्यान बुनियादी मुद्दों से भटकाने की लगातार कोशिश कर रही है, लेकिन हमें उनके बहकावे में नहीं आना है. वर्तमान शासन काल में महंगाई चरम पर है. बेरोजगारी की दर बढ़ती जा र ही है. भ्रष्टाचार बेलगाम है, किसान, नौजवान सहित समाज का हर वर्ग परेशान है.
इसके साथ हीअखिलेश ने ये भी कहा था कि भाजपा सबका साथ सबका विकास का नारा तो देती है, लेकिन उसका यह नारा तब तक अधूरा है, जब तक जातिगत जनगणना नहीं कराती. अगर बिहार ने जाति जनगणना हो सकती है तो उप्र में क्यों नहीं. यदि सपा की सरकार बनी तो तीन महीने के अंदर जातीय जनगणना कराएंगे. इसी के साथ अखिलेश ने ये भी कहा था कि भले ही भाजपा ने दुबारा सरकार बना ली, पर न तो उसकी राजनीतिक विश्वसनीयता रह गई है और न ही वित्तीय विश्वसनीयता रह गई है, क्योंकि सरकार वादे पूरे नहीं कर पा रही है.”
-भारत एक्सप्रेस
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