Amritpal Singh: खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके साथियों की खोज में पंजाब पुलिस ने दिन-रात एक कर दिया है. हालांकि, भगोड़ा अमृतपाल सिंह अभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं है. लेकिन पुलिस ने उसके कई साथियों को गिरफ्तार कर लिया है. इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किए हैं. खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल अक्सर जहरीले बयान देते रहा है और पिछले महीने उसके समर्थकों ने अजनाला पुलिस थाने पर हमला भी किया था.
एक मजबूत नेता होने का दावा करने वाले अमृतपाल सिंह वास्तव में अवसरवादी और कायर है. अजनाला की घटना के दौरान अजनाला पुलिस के साथ झड़प के दौरान पालकी (मिनी बस) में रखी श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीर को जानबूझकर निजी स्वार्थ के लिए सामने रख कर उसकी पवित्रता का अपमान किया. साथ ही, उसने इसे सिख पंथ बनाम अत्याचारी (राज्य) की लड़ाई के रूप में पेश किया. वास्तव में यह एक कट्टरपंथी नेता के रूप में उसकी छवि को बचाने की लड़ाई थी क्योंकि उसका ग्राफ नीचे की ओर जा रहा था.
धर्म जनता के लिए सच्ची अफीम है. हर व्यक्ति धर्म में सांत्वना खोजने की कोशिश करता है. अमृतपाल ने इसे भुनाया और धर्म की अपनी व्याख्या, खालसा राज को प्राप्त करने का एक मार्ग दिया. खालसा राज का वास्तविक अर्थ समावेशी समाज है, परन्तु उसने इसका प्रयोग सिक्खों का शासन स्थापित करने के लिए ही किया है. समाज के निचले तबके और लक्ष्यहीन युवा अमृतपाल सिंह के आसान निशाने पर हैं और वह धर्म के नाम पर उनकी भावनाओं का शोषण कर रहे हैं. सिख युवकों को दीक्षा देने और उन्हें धर्म से जोड़ने के लिए अमृतपान समारोह आयोजित करने के नाम पर अमृतपाल राज्य से लोहा लेने को तैयार असंतुष्ट युवाओं की फौज तैयार करने की कोशिश कर रहा है.
दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने अत्याचारियों से सुरक्षा के लिए खालसा का गठन किया. हालांकि, अमृतपाल ने इसका बिल्कुल उल्टा अर्थ दिया है और लोगों को अपने ही लोगों के खिलाफ अत्याचारी/खालसा बनने के लिए कहा है. उसने सिखों से देश के कानून में विश्वास नहीं करने को भी कहा है. बल्कि वह गुरु से निर्देश लेने पर जोर देता है. गुरु के नाम पर, वह सिख संगत द्वारा पालन किए जाने वाले हुकुमनामा के रूप में अपने स्वयं के दृष्टिकोण देता है जो आम तौर पर देश के कानून के अनुरूप नहीं होते हैं.
गुरुद्वारे जैसे पवित्र स्थान की पवित्रता पर विचार न करते हुए अमृतपाल सिंह के गुंडों ने उनके निर्देश पर बुजुर्गों और विकलांग लोगों के बैठने के लिए कुछ फर्नीचर रखने की परंपरा का पालन करने के लिए दो गुरुद्वारों में तोड़फोड़ की.
वह खुद को श्री गुरु ग्रंथ साहिब से श्रेष्ठ मानता है क्योंकि वह कुओमी इंसाफ मोचरा स्थल पर जाते समय गुरु ग्रंथ साहिब में नहीं गया था.
डब्ल्यूपीडी-गलत काम करने वाले पंजाब को अंधेरे में डाल रहा है.
भारतीय संविधान को खारिज करते हुए उसने कहा कि भारत के संविधान को अपनाकर भारत ने भले ही खुद को गणतंत्र घोषित कर दिया हो, लेकिन उक्त संविधान और कुछ नहीं बल्कि सिखों की गुलामी को कायम रखने का एक तरीका है. उसने आगे सिखों के लिए एक अलग संविधान बनाने की वकालत की.
“हिंदुस्तान दा संविधान जद्द दा लागु हो गया है, सिखाना दे हक ही मारे गए ने. अस्सी अपना आप दा संविधान लागू करेंगे.”
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अजनाला कांड के बाद उसने यह कहकर सीएम पंजाब को धमकी दी कि वह बेअंत सिंह (पूर्व सीएम, पंजाब) के रास्ते पर था, जिनकी हत्या दिलावर सिंह ने कर दी थी. इसके अलावा, उसने दावा किया कि पंजाब के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए कई दिलावर तैयार हो गए हैं और उन्हें भी इसी तरह से मार दिया जाएगा. इसके अलावा, उसने यूएचएम को धमकी भी दी कि वह खालिस्तान हासिल करने के हमारे प्रयास में हस्तक्षेप न करें अन्यथा उनका भी वही हश्र होगा जो दिवंगत पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का हुआ था.
– भिंडरावाले के पहनावे, तौर-तरीकों आदि की नकल करके उसके अनुयायियों को भुनाने का जानबूझकर प्रयास.
– खुद को भिंडरावाले का सच्चा उत्तराधिकारी मानता है.
– उसका गुलामी का नारा, सिखों के लिए आत्मनिर्णय की मांग और गैर-सिखों को देशद्रोही के रूप में चित्रित करना, ये सभी भिंडरावाले की नकल है.
-वारिस पंजाब डे के प्रमुख के रूप में अमृतपाल की नियुक्ति / राज्याभिषेक भिंडरावाले के पैतृक गांव मोगा के गांव रोडे में हुआ था.
-नाम भिंडरावाले 2.0
गुरुद्वारों और अकाल तख्त का अनादर (सर्वोच्च लौकिक सीट)
– खुद को गुरु ग्रंथ साहिब से ऊपर मानना और उसका अनादर करना. QIM में गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा नहीं करना.
-जत्थेदार अकाल तख्त को गुरु ग्रंथ साहिब को धरना स्थल पर ले जाने के लिए उसके खिलाफ बनाई गई कमेटी को लेकर धमकी देना.
– सिख रहत मर्यादा का पालन किए बिना खुद हुकुमनामा देता है, छह महीने पहले सिख धर्म अपनाने के बावजूद खुद को सिख धर्म का एकमात्र रक्षक मानता है.
-गुरुद्वारे की संबंधित कमेटी को बिना लूप में लिए गुरुद्वारों की संपत्ति को तोड़ा, बुजुर्गों और दिव्यांगों का सम्मान नहीं.
-एपीएस के गुंडों ने सिख धर्मगुरुओं के खिलाफ कार्रवाई की परवाह किए बिना गुरुद्वारे में तोड़फोड़/हिंसा की.
अवतार सिंह खंडा (यूके स्थित एसएडी / एक कार्यकर्ता और खालिस्तानी आतंकवादी जगतार सिंह तारा के करीबी सहयोगी) अमृतपाल सिंह के उल्कापिंड उदय के पीछे अमृतपाल सिंह का मुख्य संचालक और दिमाग है.
-खांडा परमजीत सिंह पम्मा (बब्बर खालसा इंटरनेशनल से जुड़े) का भी करीबी है और गुमराह करने के लिए सिख युवाओं के लिए सैद्धांतिक कट्टरपंथी प्रशिक्षण कक्षाएं आयोजित करना जानता है. उसके पास वैचारिक मतारोपण द्वारा पंजाब को अस्थिर करने का एक घातक और जानबूझकर उद्देश्य है और अमृतपाल पर एक बड़ा प्रभाव है.
-वह बर्मिंघम और ग्लासगो में लाइव प्रदर्शन कर आम रसायनों का इस्तेमाल कर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस बनाने की कोशिश कर रहा है.
-अमृतपाल के लखबीर सिंह रोडे (प्रमुख, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन) के साथ भी संबंध है, जो भारत में मुकदमे की मांग कर रहा है और हथियारों की तस्करी (आरडीएक्स विस्फोटक सहित), नई दिल्ली में सरकारी नेताओं पर हमला करने की साजिश और पंजाब में नफरत फैलाने के मामलों में वांछित है.
अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ संस्था का संरक्षक है. अमृतपाल सिंह एक एनआरआई है जो दुबई में ट्रक ड्राइवर था. दुबई में रहने के दौरान वह आईएसआई के संपर्क में आया था. उसे धर्म के नाम पर भोले-भाले युवा सिखों को प्रेरित करने के लिए कहा गया था. समझ में आया कि आईएसआई पैसा खर्च करेगी और खालिस्तान के नाम पर सिखों को पीछे लाकर मैं पंजाब में अपनी बात रखूंगा.
पंजाब आने के बाद आईएसआई के कहने पर अमृतपाल सिंह ने अपना संगठन खड़ा करने के लिए अमृत संचार की मदद ली. बाद में उन्होंने ‘खालसा वहीर’ नामक अभियान चलाया और गांवों में जाकर अपने संगठन को मजबूत किया. उसने पंजाब के मुद्दों को भड़काया और सिखों को भारत सरकार के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया. अमृतपाल सिंह धर्म की आड़ में लोगों से मनचाहा काम करवाने में सफल होने लगा. इससे आईएसआई और उसका मनोबल मजबूत हुआ. इन कार्रवाइयों से पंजाबियों के बीच आतंकवाद के बुरे दौर की यादें ताजा हो गईं. पंजाब बड़ी मुश्किल से उस दौर से निकला है और उस दौर में वापस नहीं जाना चाहता.
अजनाला कांड के बाद से पंजाब में खौफ का माहौल है और हर कोई सवाल कर रहा है कि प्रशासन अमृतपाल सिंह के खिलाफ कुछ नहीं कर रहा है. अमृतपाल को आईएसआई दुबई से पंजाब इसलिए लाई थी कि वह गुंडागर्दी और हथियारबंद साथियों के साथ हिंसा फैलाने लगा. वह लोगों को धमकाता है और उसके खिलाफ बोलने वाले को चुप कराने की क्षमता रखता है. क्या उसने जत्थेदार अकाल तख्त साहब को चुप रहने की धमकी भी दी थी? उसे लगता है कि पंजाब पुलिस और सरकार उससे डरती है, कोई भी उस पर बाल नहीं फेर सकता चाहे वह कुछ भी कर ले.
इन सभी कार्रवाइयों के कारण सभी पंजाबी उसका विरोध करने लगे हैं. पंजाब ने आतंकवाद के दो दशकों के बुरे दौर का सामना किया है. आज कोई भी पंजाबी अपने बच्चों के भविष्य को अंधकार में नहीं डालना चाहता. आवाज उठाई जा रही है जो समय की मांग भी है और पंजाब को फिर अंधेरे में जाने से बचाने के लिए कदम उठाना बहुत जरूरी हो गया है.
अमृतपाल सिंह के साथियों ने गुरुद्वारा सिंह सभा मॉडल टाउन जालंधर पर हमला कर दिया और गुरुद्वारा साहिब में बुजुर्गों के बैठने के लिए रखी कुर्सियों को तोड़ दिया और गुरुद्वारा साहिब में आग लगा दी. सभी ने धर्म की आड़ में गुंडागर्दी के लिए वारिस पंजाब के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया. अमृतपाल सिंह खुद को सिख धर्म का अनुयायी मानता है और जो मन करता है वही करता है. इन्हीं कारणों से आज पंजाबी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया है. अमृतपाल सिंह ने अपने साथियों को सशस्त्र रहने के लिए कहा और उन्होंने आनंदपुर खालसा आर्मी (AKF) नामक एक नई सेना का गठन किया. यह सेना खतरनाक हथियारों के साथ हमेशा उसके आसपास रहती है. क्या यह एक नए युद्ध की घोषणा है?? गुरुओं ने सिक्ख धर्म में कठिनाई के समय अपनी रक्षा के लिए शस्त्र धारण करने और निरपराध लोगों को भयभीत करने के लिए शस्त्र धारण न करने को सिक्खों से कहा था.
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अमृतपाल सिंह एक के बाद एक नए कदमों से प्रशासन और पुलिस के निशाने पर है. अमृतपाल ने अपने साथी लवप्रीत सिंह तूफान को पुलिस गिरफ्त से छुड़ाने के लिए 23 फरवरी को अजनाला थाने पर हजारों की संख्या में हमला कर शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ दिया. पंजाब पुलिस ने इस पूरी घटना को बहुत ही चतुराई से संभाला और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की मर्यादा का ख्याल रखा.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का इस प्रकार अपने निजी स्वार्थों के लिए उपयोग करना एक प्रकार की निन्दा है. अमृतपाल के इस कृत्य की पूरे सिख समुदाय ने निंदा की थी. इस घटना के बाद श्री अकाल तख्त साहिब ने एक समिति गठित की और गुरु साहिब के अनादर की जांच करने का आदेश दिया. वह यहीं नहीं रुका और अजनाला कांड के बाद जत्थेदार अकाल तख्त गया और उन्हें चुप रहने की धमकी दी. अमृतपाल ने एक बयान में कहा कि अजनाला की घटना हिंसा नहीं है और भविष्य में वास्तविक हिंसा की धमकी भी दी.
-भारत एक्सप्रेस
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