Rajasthan Election: राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर 25 नवंबर को हुए मतदान के बाद अब सभी की निगाहें 3 दिसंबर को होने वाली मतगणना पर है. हार-जीत और मतदान का आंकड़े जुटाने के साथ ही प्रत्याशी आगे की तैयारी में जुटे हुए हैं. वहीं राजस्थान की सियासत में भरतपुर जिले की सात विधानसभा सीटें हमेशा से चर्चा में रही हैं. ये सीटें हर बार चुनाव में काी अहम भूमिका में रही हैं. जिसमें कामां विधानसभा सीट के पिछले आंकड़ों के आधार पर कहा जा रहा है कि यहां पर जिस पार्टी के प्रत्याशी की जीत होती है, राजस्थान में उसी की सरकार बनती है.
कामां विधानसभा सीट को लेकर कहा जाता है कि यहां पर जिस भी पार्टी का प्रत्याशी जीतता है, उसी की राज्य में सरकार बनती है. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि पिछले 25 सालों के इतिहास में यही रिवाज चलता आया है. सत्ता की चाभी तय करने का ये सिलसिला साल 1998 से चलता आ रहा है. साल 1998 से यहां से जिस पार्टी का प्रत्याशी जीतता है, प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनती है. जैसे राजस्थान में कई वर्षों से एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी की सरकार बनने का रिवाज चल रहा है, हालांकि राजस्थान में हर टर्म के बाद सत्ता बदलने का रिवाज साल 1993 से लगातार हो रहा है.
कामां विधानसभा क्षेत्र में भी ऐसा ही रिवाज चला आ रहा है. यहां भी हर पांच साल बाद विधायक बदल जाता है. पिछले आंकड़े बताते हैं कि कामां सीट पर जिस पार्टी का विधायक चुना जाता है, प्रदेश में अगले पांच साल तक उसी पार्टी की सत्ता होती है. अब तक राजस्थान में विधानसभा चुनाव में ये आंकड़ा 80 फीसदी सटीक रहा है.
अब इस सीट का पुराना इतिहास अगर देखें तो साल 1998 के विधानसभा चुनाव में कामां विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी तैयब हुसैन जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार बनाई थी, और अशोक गहलोत सीएम बने थे. साल 2003 में कामां विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी मदन मोहन सिंघल जीत कर विधायक बने थे, इनकी जीत के साथ ही बीजेपी ने सरकार बनाई थी. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अगुवाई में बीजेपी ने अगले पांच साल तक प्रदेश की सत्ता चलाई. साल 2008 के विधानसभा चुनाव में कामां सीट से कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी जाहिदा खान जीतकर कर विधानसभा पहुंची थी और दोबारा अशोक गहलोत की अगुवाई में सरकार बनाकर कांग्रेस ने राजस्थान की सत्ता में वापसी की.
-भारत एक्सप्रेस
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