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Year Ender 2024: मिशन दिव्यास्त्र से लेकर प्रीडेटर ड्रोन तक, इस साल रक्षा क्षेत्र में ये रहीं भारत की उपलब्धियां

India’s big Defence advancements in 2024: साल 2024 भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक वर्ष रहा, क्योंकि देश ने अपनी महत्वाकांक्षी ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल (Atmanirbhar Bharat Initiative) के तहत बड़ी प्रगति की और बड़े रक्षा सौदों (Defence Deals) के साथ अपने सशस्त्र बलों को मजबूत किया. साल की शुरुआत शानदार रही, क्योंकि मार्च में मिशन दिव्यास्त्र (Mission Divyastra) की सफलता के बाद भारत चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया. बाद में इसने अमेरिका के साथ लंबे समय से प्रतीक्षित प्रीडेटर ड्रोन सौदे पर हस्ताक्षर किए और वडोदरा में अत्याधुनिक टाटा-एयरबस सी-295 सुविधा (Tata-Airbus Facility) का उद्घाटन किया, जो देश का पहला निजी सैन्य विमान संयंत्र है.

मनी कंट्रोल वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण पर सरकार का जोर केंद्रीय बजट 2024-25 में भी दिखाई दिया. केंद्र ने रक्षा मंत्रालय को 6.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए, जो वित्त वर्ष 2023-24 से 4.79 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. बजट में सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिए पूंजीगत व्यय के लिए 1.72 लाख करोड़ रुपये (26 प्रतिशत) अलग रखे गए, जो वित्त वर्ष 2022-23 के वास्तविक व्यय से 20.33 प्रतिशत अधिक और वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित आवंटन से 9.40 प्रतिशत अधिक है. चलिए वर्ष के समापन पर रक्षा क्षेत्र में देश की प्रमुख उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं.

Agni-5 MIRV Missile

11 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने मिशन दिव्यास्त्र के तहत स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया.

वैज्ञानिकों ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री ह्वीकल (MIRV) तकनीक का परीक्षण किया. मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया, जिनके पास MIRV क्षमता है.

अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 5,000 किलोमीटर तक है और यह चीन के सबसे उत्तरी हिस्से के साथ-साथ यूरोप के कुछ क्षेत्रों सहित लगभग पूरे एशिया को अपनी मारक क्षमता में ला सकती है. एमआईआरवी तकनीक एक मिसाइल को कई स्वतंत्र री-एंट्री व्हीकल ले जाने और पहुंचाने में सक्षम बनाती है, जिससे विभिन्न उद्देश्यों को सटीक और लक्षित तरीके से नष्ट किया जा सकता है.

अमेरिका के साथ Predator Drone सौदा

भारत और अमेरिका के बीच करीब 32,000 करोड़ रुपये के समझौतों पर हस्ताक्षर के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदारी मजबूत हुई. इसमें भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद और भारत में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधा की स्थापना शामिल है.

31 ड्रोन में से 15 भारतीय नौसेना के लिए और 8-8 भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना के लिए होंगे. ड्रोन के नौसेना संस्करण को सी गार्जियन कहा जाता है, जबकि IAF और सेना संस्करण को स्काई गार्जियन के नाम से जाना जाता है.

ड्रोन से भारतीय सशस्त्र बलों की निगरानी और खुफिया क्षमताओं में वृद्धि होने की उम्मीद है. Hunter-Killer Drones के रूप में जाने जाने वाले ये यूएवी 40,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं और लगभग 40 घंटे तक हवा में रह सकते हैं. वे चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम बम भी ले जा सकते हैं. ड्रोन से भारत को पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन पर महत्वपूर्ण बढ़त मिलने की उम्मीद है.

भारत में टाटा-एयरबस संयत्र का उद्घाटन

बीते अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके स्पेनिश समकक्ष पेड्रो सांचेज ने वडोदरा में C-295 विमान बनाने के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया. टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड C-295 कार्यक्रम के हिस्से के रूप में वडोदरा में 40 C-295 विमान बनाएगा.

C-295 कार्यक्रम के तहत 56 विमान वितरित किए जाने हैं, जिनमें से 16 स्पेन से सीधे एयरबस द्वारा वितरित किए जा रहे हैं और शेष 40 टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा भारत में बनाए जाने हैं. सितंबर 2021 में रक्षा मंत्रालय ने 56 विमानों की आपूर्ति के लिए एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एसए, स्पेन के साथ 21,935 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे – 16 को स्पेन से उड़ान भरने की स्थिति में लाया जाएगा और 40 को TASL द्वारा भारत में बनाया जाएगा.

एयरबस सी-295 एक मध्यम सामरिक परिवहन विमान है, जिसे स्पेनिश एयरोस्पेस कंपनी CASA द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था, जो अब यूरोपीय बहुराष्ट्रीय एयरबस डिफेंस एंड स्पेस डिवीजन का हिस्सा है. C-295 का उपयोग चिकित्सा निकासी, आपदा प्रतिक्रिया और समुद्री गश्ती कर्तव्यों के लिए भी किया जा सकता है.

21,772 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी

दिसंबर के पहले सप्ताह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 21,772 करोड़ रुपये से अधिक के पांच पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AON) प्रदान की.

डीएसी ने भारतीय नौसेना के लिए 31 नए वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट (NWJFAC) की खरीद के लिए एओएन प्रदान किया. इन्हें तट के करीब कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन, निगरानी, ​​गश्त और खोज और बचाव (SAR) संचालन के कार्य को करने के लिए डिजाइन किया गया है.

इसके अलावा ये जहाज विशेष रूप से हमारे द्वीपीय क्षेत्रों में और उसके आसपास एंटी-पायरेसी मिशनों में प्रभावी भूमिका निभाएंगे. डीएसी ने 120 फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट (FIC-1) की खरीद को भी मंजूरी दी. ये जहाज कई भूमिकाएं निभाने में सक्षम हैं, जिसमें तटीय रक्षा के लिए विमान वाहक, विध्वंसक और फ्रिगेट, पनडुब्बियों जैसी उच्च मूल्य वाली इकाइयों को एस्कॉर्ट करना शामिल है.

इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट (EWS) की खरीद के लिए एओएन को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें बाहरी एयरबोर्न सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर पॉड्स, अगली पीढ़ी के रडार चेतावनी रिसीवर और एसयू-30 एमकेआई विमान के लिए संबंधित उपकरण शामिल हैं. इसने तटीय क्षेत्रों में तटीय सुरक्षा और निगरानी को मजबूत करने के लिए भारतीय तटरक्षक बल के लिए छह उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH-MR) की खरीद को भी मंजूरी दी.

सेना की नई विशिष्ट तकनीकी इकाई

संचार प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति का लाभ उठाने के लिए सेना ने सिग्नल प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और अनुकूलन समूह (STEAG) की स्थापना की घोषणा की. यह विशेष इकाई सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की उनकी क्षमता के लिए AI, 5G, 6G, मशीन लर्निंग और क्वांटम प्रौद्योगिकियों जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के गहन शोध और मूल्यांकन के लिए समर्पित है.

भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा, ‘STEAG इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज, मोबाइल संचार, सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो (SDR), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सिस्टम, 5G और 6G नेटवर्क सहित वायर्ड और वायरलेस सिस्टम के पूरे स्पेक्ट्रम में अनुरूप प्रौद्योगिकियों के पोषण और विकास के लिए नर्सरी होगी.’

उन्होंने कहा, ‘यह एक प्रमुख संगठन होगा, अपनी तरह का पहला, जो विशिष्ट प्रौद्योगिकी का उपयोग करने, अत्याधुनिक समाधानों का लाभ उठाने और शिक्षाविदों और उद्योग के साथ सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देकर रक्षा अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त उपयोग-मामलों की पहचान करने की क्षमता से लैस होगा.’

स्वदेशी निर्मित ‘Asmi’ मशीन पिस्तौल

भारत की आत्मनिर्भरता पहल की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए भारतीय सेना ने अपने उत्तरी कमान में 550 स्वदेशी रूप से निर्मित ‘अस्मी’ (Asmi) मशीन पिस्तौल शामिल की हैं. यह हथियार भारतीय सेना द्वारा DRDO के सहयोग से बनाया गया है.

भारतीय सेना के अतिरिक्त लोक सूचना महानिदेशालय (ADGPI) ने X पर कहा, ‘अस्मी मशीन पिस्तौल एक मजबूत, कॉम्पैक्ट और विश्वसनीय हथियार है, जिसे नजदीकी लड़ाई और विशेष अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है. इसका अनूठा सेमी-बुलपप डिजाइन पिस्तौल और सबमशीन गन दोनों के रूप में एक हाथ से संचालन की अनुमति देता है.’

लोकेश मशीन्स लिमिटेड को इस वर्ष अप्रैल में उत्तरी कमान में सेना के विशेष बलों को 550 9×19 मिमी अस्मी मशीन पिस्तौल की आपूर्ति करने का ठेका दिया गया था.

26 Rafale-M Jets और 3 Scorpene पनडुब्बियों का सौदा

नेवी चीफ एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि अगले साल भारत जल्द ही 26 नौसेना वैरिएंट के राफेल जेट (Rafale-M Jets) और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों (Scorpene Submarines) की प्रस्तावित खरीद को अंतिम रूप देने जा रहा है. नौसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि देश में अपनी नौसेना की ताकत बढ़ाने के प्रयासों के तहत 62 जहाज और एक पनडुब्बी का निर्माण चल रहा है. उन्होंने कहा कि अगले एक साल में बड़ी संख्या में प्लेटफॉर्म शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं और कम से कम एक जहाज नौसेना में शामिल किया जाएगा. एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, ‘हमने बल में विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के लिए प्रयासों को दोगुना कर दिया है.’

-भारत एक्सप्रेस

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