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महिलाओं के अधिकारों की वकालत करना सभी का कर्तव्य है, चाहे वह स्त्रीवादी हो या नहीं. साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि पुरुषों को उनके पूर्वजों के गलत कार्यों के लिए प्रताड़ित न किया जाए.

छोटे या बड़े स्तर के सभी युद्ध और संघर्षों का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और मानवीय मोर्चे पर चौतरफा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसका खामियाजा सबसे अधिक कमजोर समुदाय को भुगतना पड़ता है.

मध्य प्रदेश के चंबल में 50 के दशक में गब्बर सिंह नाम के डकैत का आतंक चरम पर था, जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी परेशान थे. ऐसी चर्चा रही है कि शोले फिल्म में गब्बर का किरदार इसी डाकू की कहानी से प्रेरित था.

आजादी के बाद और 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से पूर्व देश में पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया था, जिसमें डॉ. भीमराव आंबेडकर केंद्रीय कानून मंत्री थे.

Baba Ramdev और Acharya Balkrishna अपनी कंपनी Patanjali Ayurved के औषधीय उत्पादों के असर के बारे में विज्ञापनों में बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं, जिसके खिलाफ एलोपैथी डॉक्टरों के शीर्ष संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने Supreme Court में याचिका दायर ​की है.

लोकसभा चुनाव-2024 के दरम्‍यान अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज़वीक को दिए इंटरव्‍यू में अपनी दूरगामी सोच और डेवलपमेंट के एजेंडे को लेकर विचार साझा किए। लोकतंत्र की महानता तथा प्रेस की स्वतंत्रता पर बोले- भारत लोकतंत्र की जननी..

आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था. इसी दौरान इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने नसबंदी का एक विवादास्पद अभियान चला रखा था. उसी दौरान यह नारा काफी चर्चित हुआ था.

Varsh Pratipada 2024: भारतीय सनातन संस्कृति पर आधारित कालगणना को विश्व की सबसे प्राचीन पद्धति माना जाता है। दरअसल, भारत में कालचक्र प्रवर्तक भगवान शिव को काल की सबसे बड़ी इकाई के अधिष्ठाता होने के चलते ही उन्हें महाकाल कहा गया।

इंदिरा गांधी 1977 के आम चुनावों में हार चुकी थीं और सत्ता में दोबारा वापसी के लिए तमाम गुणा-गणित लगा रही थीं. इन सबके बीच तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार में उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम का दावा भी प्रधानमंत्री पद के लिए मजबूत माना जा रहा था.

फिल्म ‘किस्सा कुसी का’ का निर्देशन अमृत नाहटा ने किया था. यह एक राजनीतिक व्यंग्य थी. फिल्म में शबाना आजमी, उत्पल दत्त, रेहाना सुल्तान, सुरेखा सीकरी और राज किरण प्रमुख भूमिकाओं में थे.