क्या सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल के बीच दूरियां मिट गयी हैं? दोनों के बीच लंबे वक्त से अनबन चल रही थी.दोनों के बीच सुलह की कोशिशें भी की गयीं.लेकिन अब ये अटकलें थम चुकी हैं.पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह के निधन के बाद से दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव दूर करने की कोशिशें की गयीं.पर लगता है कि ये कोशिशें सिरे नहीं चढ़ सकीं.
दोनों के बीच दूरियां बरकरार हैं.इस हकीकत से पर्दा तब उठा जब गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट तैयार हुई लेकिन उसमें चाचा शिवपाल का नाम नदारद था. सपा की इस लिस्ट में कुल 39 नाम हैं, लेकिन अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव का नाम इस लिस्ट में नहीं है. इस वजह से अब दोनों के बीच फिर से सुलह की अटकलों को खत्म माना जा रहा है.
दोनों के बीच तल्खियां विधानसभा चुनाव के वक्त से ही हैं.शिवपाल सिंह ने अखिलेश से नाराज होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी.इतना ही नहीं,अखिलेश ने उनको टिकट बंटवारे में भी तवज्जो नहीं दी.उस दौरान रह-रह कर शिवपाल का दर्द सामने आ रहा था. जब विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो गये तब एक बार ये भी खबरें आईं कि नाराज शिवपाल बीजेपी का दामन भी थाम सकते हैं.उन्होंने योगी आदित्यनाथ की भी तारीफ की थी.
गौरतलब है कि ,इससे पहले शिवपाल सिंह यादव के कई बयानों के आधार पर ये अटकलें शुरू हुई थी. तब नेताजी के निधन के बाद मीडिया से बात करते हुए शिवपाल सिंह यादव ने कहा था, “नेताजी का अक्स अखिलेश यादव में दिखाई पड़ता है.” जिसके बाद शिवपाल यादव के इस भावुक बयान की काफी चर्चा हुई और इसके कई मायने भी निकले गए.समझा जा रहा था कि दोनों केे बीच कड़वाहट खत्म हो चुकी है.
जब मैनपुरी से चुनाव की बात शिवपाल सिंह यादव से पूछी तो उन्होंने कहा था, “अभी हम उस स्थिति में नहीं हैं. मुझे क्या करना है या क्या नहीं करना है. ये सब बातें तो जब मौका आएगा तो की जाएंगी. इसलिए इस समय कोई फैसले की बात नहीं है. देखिए क्या जिम्मेदारी मिलती है, क्या करना है. अभी तो सब कार्यक्रम बाकी है.”
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का निधन 10 अक्टूबर को हुआ था. जिसके बाद से अंतिम संस्कार से लेकर शांति हवन तक हर समय चाचा शिवपाल सिंह यादव अखिलेश यादव के साथ दिखे हैं. लगा कि दूरियां नजदीकियों में तब्दील हो रही हैं.
गौरतलब है कि मुलायम सिंह के निधन के बाद से अखिलेश यादव के सामने पार्टी को एकजुट रखने की ना सिर्फ चुनौती है,बल्कि उन्हें आगामी चुनावों में अपनी साख को भी बरकरार रखना है.शिवपाल सिंह वह नेता हैं जिन्होंने पार्टी के संगठन को खड़ा करने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने में अहम भूमिका निभाई थी.अगर वह नाराज रहते हैं,उन्हें मनाया नहीं जाता तो पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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