बहराइच के जिलाधिकारी के वाहन चालक जवाहर लाल मौर्या पर ये लाइन काफी फिट बैठती हैं. कहते है, जब हौसले बुलंद हो तो पहाड़ भी मिट्टी का ढेर लगने लगता है. वहीं बात करते हैं,जवाहर लाल मौर्या के बुलंद हौसलों की, जिन्होंने एक नहीं, अपने दोनों बेटों को सफलता की उस ऊंचाई पर पहुंचाया है, जहां तक पहुंचने की कल्पना सब करते हैं. जवाहर लाल मौर्या के छोटे बेटे पीसीएस (PCS) परीक्षा में 40 वीं रैंक हासिल कर SDM बने.
वाहन चालक जवाहरलाल अपने बच्चों की सफलता की कहानी बताकर भावुक हो उठे, उन्होंने कहा, मेरी पत्नी का मेरे बेटों की सफलता में सबसे बड़ा योगदान है. लेकिन आज वो इस खुशी को देखने के लिए मौजूद नही हैं. मैं तो ड्राइवर हूं, पूरा समय ड्यूटी पर रहता हूं, लेकिन मेरी पत्नी बच्चों को सबसे अधिक समय देती थी, लेकिन उसकी किस्मत में ये खुशी देखने को नहीं थी. उनकी पत्नी की 5 साल पहले मौत हो चुकी है. जवाहर लाल बताते हैं की 35 साल की अपनी नौकरी में साहब के साथ रहते हुए अपने बच्चों को भी उन्होंने वैसा ही बनने की प्रेरणा दी, आज छोटा बेटा एसडीएम (SDM) बन गया है.
गौरतलब है की बहराइच फखरपुर विकास खंड के केतारपुर तखवा के रहने वाले जवाहर लाल मौर्या पिछले 35 साल से बहराइच जिलाधिकारी के वाहन चालक पद पर कार्य करते थे. इनके परिवार में 2 बेटे संजय सिंह मौर्या और कल्याण सिंह मौर्या हैं. वहीं बेटियों में श्रेया और प्रिया मौर्या हैं. जवाहर लाल मौर्या के छोटे बेटे कल्याण सिंह मौर्या को यूपी पीसीएस में 40वीं रैंक हासिल हुई है. उनकी दोनों बेटियां पोस्ट ग्रेजुएट कंपलीट कर अपने भाइयों के रास्ते कदम पर चलते हुए यूपीएससी (UPSC) की तैयारी में जुटी हैं. जवाहर लाल के बेटे की सफलता पर बहराइच का पूरा कलेक्ट्रेट खुशियां मना रहा है.
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