मध्यप्रदेश में किसानों एक बार फिर बड़े किसान आंदोलन की शुरूआत कर दी. भोपाल समेत प्रदेश के कई शहरों में किसान धरना दे रहे हैं. किसानों की मांग है कि एक बार विधानसभा का 7 दिन का विशेष सत्र बुलाया जाए. जिसमें सिर्फ खेती-किसानी से ही जुड़े हुए मुद्दों पर बात की जाए और किसानों की समस्याओं का समाधान किया जाए. वहीं किसानों के आंदोलन के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज किसानों से मिलने के लिए उनके बीच पहुंचे और किसानों के हक में बात करने लगे.
दूसरी तरफ किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनिमोहन मिश्रा ने सीएम के मंच पर होते हुए कहा कि सरकारी सिस्टम नहीं सुधरा तो तहसील ऑफिस का घेराव करेंगे. किसान संगठन के प्लान में IDA(इंदौर विकास प्राधिकरण) को भंग करने की मांग भी की गई है.
पिछले कुछ समय से किसानों और सरकार के बीच खींचतान चल रही है. जिसके चलते किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. बता दें कि भारतीय किसान संघ के बैनर तले 18 मांगों पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. जिनमें खाद, बीज, मुआवजा, भावांतर समेत हर बिंदू शामिल हैं. किसानों की मांग है कि अनाज और सब्जियों पर भावांतर योजना लागू की जाए. इससे उन्हें मंडियों में कम दाम न मिले. इसके अलावा किसान लगातार सरकार से 7 दिन का विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहें है. बता दे कि किसानों ने अपने आंदोलन के मंच को फलों और फल से फरे टोकरियों से सजाया है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंच पर किसानों से कहा कि सरकार किसानों की है. किसान जो कहेंगे, हम सुनेंगे, समस्या का हल करेंगे. सीएम शिवराज ने कहा कि किसानों की सहमति से ही उसकी जमीन अधिग्रहित होगी. इसके अलावा उन्होने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा ”किसानों के कर्ज माफी की वजह से डिफाल्टर किसानों के कर्ज का ब्याज भी सरकार देगी. किसान पंप योजना का अनुदान अगले बजट में आ जाएगा. गन्ना किसानों का बकाया मिल मालिकों से वापस कराएंगे. जले हुए ट्रांसफार्मर को जल्द से जल्द बदला जाएगा”.
किसान संघ के आंदोलन की संयोजक गिरजभान ठाकुर ने कहा महिलाएं भी अब इस आंदोलन में जुटेंगी. उन्होने आगे कहा कि सरकार के मंत्री और विधायकों को चूड़ियां सौंपी जाएंगी.
किसान संघ के आंदोलन की संयोजक गिरजभान ठाकुर ने कहा कि अगले आंदोलन में प्रदेशभर से महिलाएं भी जुटेंगी। सरकार के मंत्री और विधायकों को चूड़ियां सौंपी जाएंगी। संघ के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य नानजी आकले ने कहा ”मैं जैसा समझता था वैसा मध्यप्रदेश का किसान सुखी नहीं है, दुखी है. ये दुर्भाग्य की बात है. ये दुर्भाग्य मध्यप्रदेश में शासनकर्ताओं की वजह से है, ये उनके निकम्मेपन का उदाहरण है मध्यप्रदेश सरकार जिंदा है तो दिखाए.”
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