मथुरा के एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है, जहां छत से गिरने के बाद युवक को इलाज के दौरान अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अस्पताल के रिसेप्शन पर 25 हजार रुपये जमा ना कर पाने की वजह से डॉक्टर ने उसका इलाज नहीं किया, जिसके बाद युवक ने तड़प- तड़प कर जान दे दी.
थाना रिफाइनरी की कांशीराम कॉलोनी के ब्लॉक 22 की चौथी मंजिल पर राकेश रहता था,जिनकी उम्र 35 साल बताई गयी है. राकेश गुरुवार रात को अपने घर की छत से सड़क पर आ गिरा. उसी दौरान कॉलोनी के लोग उसे गंभीर अवस्था में निजी अस्पताल लेकर पहुंचे थे.
यहां चंदे से इक्ठा हुई 12 हजार रुपये की धनराशि जब रिसेप्शन पर जमा कराई तो डॉक्टर ने पूरे 25 हजार रुपये जमा कराने के बाद ही इलाज शुरू करने को कहा. राकेश के परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से परिवार वाले बाकी रुपये नहीं जुटा पाए, जिसके कारण डॉक्टर ने उसका इलाज करने से इंकार कर दिया.थोड़ी देर बाद राकेश की मौत हो गई. उसके तीन छोटे बच्चे भी हैं.
यूपी के निजी अस्पतालों में इस प्रकार की घटनाएं अक्सर होती हैं.स्वास्थ विभाग को भी इस बात का इल्म है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समय समय पर अस्पतालों में चिकित्सा सुधार के निर्देश देते रहते हैं. लेकिन प्राइवेट अस्पतालों को में फैली बदइंतजामी पर कोई अंकुश नहीं लग पाया है.
यह कोई पहली घटना नहीं है. ऐसी घटनाएं आये दिन होती रहती है. इससे पहले 3 अक्टूबर को गोवर्धन रोड हवेली होटल के निकट डींग के रहने वाले बाइक सवार दुर्घटना में घायल हुआ था. उसे भी राष्ट्रीय राजमार्ग के एक अस्पताल से रेफर कर गोवर्धन चौराहे के एक अस्पताल भेजा गया था.
डॉक्टरों ने घायल के परिजन से साढे़ आठ लाख रुपये वसूले थे. 18 अक्टूबर की सुबह उसे मृत घोषित कर दिया था. जब शव पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया तो वहां डाक्टरों ने बताया कि युवक की मौत तो 2 दिन पहले ही हो चुकी थी.
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