नई दिल्ली, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल लोन (Digital Loan) वितरण को लेकर नई गाइडलाइंस का ऐलान किया है। केंद्रीय बैंक ने लोन बांटने वाली संस्थाओं को इसके लिए पर्याप्त सिस्टम और प्रक्रियाएं स्थापित करने के लिए 30 नवंबर का समय दिया है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मौजूदा डिजिटल लोन नए दिशानिर्देशों का अनुपालन कर रहे हैं या फिर नहीं। नए नियम वर्तमान ग्राहकों की ओर से लिए जाने वाले नए लोन और नए ग्राहकों के ओर से लिए जाने वाले लोन पर लागू किए जाएंगे.
आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि उधार देने वाले सेवा प्रदाता (Lending Service Provider) या डिजिटल लोन वितरण ऐप (Loan App) के लिए विनियमित संस्थाओं (RE) की ओर की गई आउटसोर्सिंग व्यवस्था उनके दायित्व को कम नहीं कर सकती है। उन्हें दिशानिर्देशों का हर हाल में पालन करना पड़ेगा।
आरबीआई ने पिछले महीने वर्किंग ग्रुप की सिफरिशों के बाद डिजिटल लोन को लेकर गाइडलाइंस जारी की थीं। गाइडलाइंस के अनुसार सभी प्रकार के लोन का वितरण और पुर्नभुगतान बैंक और उधारकर्ता के बीच ही होगा। इसमें किसी भी तीसरी पार्टी आरई और एलपीएस की कोई भी भूमिका नहीं होगी। साथ ग्राहकों की सहमति के बिना क्रेडिट लिमिट को ऑटोमैटिक बढ़ाने पर भी रोक लगा दी गई थी।
आरबीआई ने अपने दिशानिर्देशों में कहा था कि कोई फीस, चार्ज अगर एलपीएस को दिया जाता है तो वह आरई के जरिए वहन किया जाएगा ना कि उधारकर्ता की ओर से दिया जाएगा। आरबीआई ने डिजिटल लेंडिंग पर नयी गाइडलाइंस मुख्य रूप से तीसरे पक्ष के अनियंत्रित जुड़ाव, गलत बिक्री, डेटा गोपनीयता के उल्लंघन, अनुचित आचरण, ब्याज दरों पर शुल्क लगाने और अनैतिक वसूली जैसी संबंधित चिंताओं को देखते हुए जारी की थीं.
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