गाजियाबाद में होने वाले धर्म संसद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वकील प्रशांत भूषण ने मेंशन कर जल्द सुनवाई की मांग की. जिसपर सीजेआई ने प्रशांत भूषण से मेल करने को कहा है. प्रशांत भूषण ने कहा कि इस बात की संभावना है कि वहां मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बातें होंगी.
यह याचिका रिटायर्ड आईएएस अरुणा रॉय, रिटायर्ड आईएफएस अशोक कुमार शर्मा, देब मुखर्जी और नवरेखा शर्मा, पूर्व योजना आयोग के सदस्य और NCWV प्रमुख सैयदा हमीद और सामाजिक शोधकर्ता और नीति विश्लेषक विजयन एम जे शामिल है. भूषण ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरती भाषण दिए जा रहे है, धर्म संसद मंगलवार से शुरू हो रहा है इसलिए याचिका पर जल्द सुनवाई की जाए.
याचिका में कहा गया है कि गाजियाबाद जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश पुलिस ने नफरत भरे भाषणों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा निर्देश का पालन करने में विफल रही है. इससे पहले उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया गया था, जिसमें कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण दिए जाने के कारण विवाद खड़ा हो गया था. इस मामले में यति नरसिंहानंद सहित अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया गया. दो साल पहले भी गाजियाबाद के शिवशक्ति धाम मंदिर में 17 -18 दिसंबर को धर्म संसद का आयोजन करने का प्रयास किया गया था, लेकिन पुलिस ने पहले धर्म संसद के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण को देखते हुए आयोजन की अनुमति नहीं दी थी.
बता दें कि धर्म संसद को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले से ही सख्त है. कोर्ट ने हरिद्वार धर्म संसद को लेकर कहा था कि अगर धर्म संसद में भड़काऊ भाषण को रोका नहीं गया तो इसके लिए राज्य के अधिकारी जिम्मेदार होंगे. वहीं दिसंबर 2021 के दिल्ली धर्म संसद मामले में जांच अधिकारी से पूछा था कि धर्म संसद 19 दिसंबर 2021 को हुई थी तो इसके 5 महीने बाद केस क्यों दर्ज किया गया था और इस मामले में कितनों को गिरफ्तार किया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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