सुप्रीम कोर्ट.
आरएसएस कार्यकर्ता श्री निवासन की हत्या के मामले में आरोपित पीएफआई के 17 सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें केरल हाई कोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ दायर की गई थी. ये लोग राज्य और देश के विभिन्न हिस्सों में साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोपों का भी सामना कर रहे हैं.
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि आरोपी को जमानत देने का केरल हाई कोर्ट का आदेश एक साल पुराना है और यदि शर्तों का उल्लंघन किया जाता है. तो हाई कोर्ट को जमानत रद्द करने का अधिकार है. श्रीनिवासन की पलक्कड़ जिले में 16 अप्रैल 2022 को हत्या की गई थी. शुरुआत में 51 लोगों को आरोपी फरार चल रहे हैं. बाकी के खिलाफ जुलाई और दिसंबर 2022 में दो चरणों में चार्जशीट दाखिल किया गया था.
केरल हाई कोर्ट से 26 आरोपियों में से 17 पीएफआई सदस्यों को जमानत मिल गई थी. हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए शर्ते लगाई थी. कोर्ट ने कहा था जमानत पर बाहर रहने के दौरान मोबाइल नंबर और वास्तविक समय के जीपीएस स्थान साझा करना शामिल है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि आरोपी केरल से बाहर नहीं जाएंगे. अपना पासपोर्ट जमा करेंगे और 24 घंटे अपना मोबाइल फोन चार्ज व ऑन रखेंगे.
बता दें कि पीएफआई को 2007 में दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों, केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट इन केरल, कर्नाटक फोरम डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीति पासराई के विलय के जरिये स्थापित किया गया.
दरअसल केरल के कोझिकोड में नवंबर 2006 में एक बैठक का आयोजन हुआ, जहां पर तीनों संगठनों को एक साथ लाने का फैसला किया गया. पीएफआई की गठन की औपचारिक घोषणा 16 फरवरी 2007 को एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस के दौरान बेंगलुरु में एक रैली की गई थी.
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-भारत एक्सप्रेस
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