दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि दहेज हत्या जैसा अपराध घरेलू जीवन में गरिमा और न्याय की नींव पर प्रहार करता है. लेकिन इस तरह के मामलों में जमानत देने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है. जस्टिस संजीव नरूला ने यह कहते हुए दहेज हत्या के आरोपी पति को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.
जस्टिस ने कहा कि यह अदालत दहेज हत्या की सामाजिक गंभीरता और प्रचलन के प्रति पूरी तरह सचेत है. लेकिन जमानत पर विचार करते समय प्रत्येक मामले में व्यक्तिगत तथ्यों व परिस्थितियों, साक्ष्य की प्रकृति व उसका वजन तथा आरोपों के समग्र संदर्भ पर विचार किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि शादी के एक साल के भीतर अप्राकृतिक परिस्थितियों में युवती की मौत कानून को आमंत्रित करती है. फिर भी ऐसे दुखद मामलों में भी अदालत को यह आंकलन करना चाहिए कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य वैधानिक आवश्यकताओं के अनुरूप है या नहीं. लेकिन इस मामले में साक्ष्यों में अस्पष्टता है और विशिष्टता का अभाव है जो आईपीसी की धारा 304बी के लिए जरूरी है.
पति पर आरोप लगाया गया है कि उसके परिवार ने उसकी पत्नी को शारीरिक और मानिसक रूप से प्रताड़ित करते थे. वे उससे दहेज की भी मांग करते थे. पति पर पत्नी को बिना दरवाजे वाले बेडरूम में रहने के लिए मजबूर करने एवं अपनी साली के साथ अवैध संबंध रखने का भी आरोप है. इसके अलावा कार मांगने का भी आरोप है.
कोर्ट ने कहा कि यह मांग मृतक के परिवार का घटना के बाद दिए गए बयानों में है. लेकिन इस तरह का आरोप उसके जीवन काल का नहीं है. इससे संदेह पैदा होता है. इससे आरोपी को जमानत देने का मामला बनता है.
ये भी पढ़ें: कलकत्ता हाईकोर्ट का विवादित फैसला- “नाबालिग के स्तनों को छूना रेप नहीं”…आरोपी को दे दी जमानत
-भारत एक्सप्रेस
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना बिहार के छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही…
पाकिस्तान के बलूच प्रांत में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के फतेह स्क्वॉड ने क्वेटा-कराची हाईवे…
गुजरात के साबरकांठा जिले में आयुष्मान भारत योजना के तहत 36,000 से ज्यादा लोगों को…
प्रो. अजय सूद को अमेरिकन अकादमी का मानद सदस्य चुना गया. पीएम मोदी के विज्ञान-नवाचार…
Agricultural Land Loan: अगर आपके पास कृषि भूमि है और आप उस पर लोन लेना…
उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को छह प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले किए हैं। प्रेम प्रकाश…