28 April 2025 Panchang: आज वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इस दिन अश्विनी नक्षत्र और प्रीति योग रहेगा. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:37 तक रहेगा, जबकि राहुकाल शाम 16:58 से 18:34 तक रहेगा. चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे. हिंदू पंचांग, जिसे वैदिक पंचांग (Aaj Ka Panchang) भी कहते हैं, समय और काल की सटीक गणना करता है. यह तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण जैसे पांच अंगों से मिलकर बनता है. नीचे आज के पंचांग की विस्तृत जानकारी दी गई है:
आज वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है, जो 25:01 तक रहेगी. अश्विनी नक्षत्र 24:38 तक और प्रीति योग 24:18 तक रहेगा. प्रथम करण चतुष्पदा 14:55 तक और द्वितीय करण नागा 25:01 तक रहेगा. सूर्योदय सुबह 05:48 बजे और सूर्यास्त शाम 18:34 बजे होगा. चंद्रमा मेष राशि में संचरण करेंगे. राहुकाल शाम 16:58 से 18:34 तक रहेगा. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:37 तक रहेगा. विक्रमी संवत् 2082, शक संवत् 1947 (विश्वावसु) और मास वैशाख है.
तिथि: चंद्र और सूर्य के रेखांकों के बीच 12 अंश की दूरी को तिथि कहते हैं. एक माह में 30 तिथियां होती हैं, जो शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बंटी हैं. शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या (Aaj Ka Panchang) होती है. तिथियों के नाम: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा.
नक्षत्र: आकाश में तारों का समूह नक्षत्र कहलाता है. कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनका स्वामित्व नौ ग्रहों के पास है. नक्षत्रों के नाम: अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती.
वार: सप्ताह के सात दिन ग्रहों के नाम पर हैं – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार.
योग: सूर्य और चंद्र की विशेष दूरी से बनने वाले 27 योग हैं. इनके नाम: विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र, वैधृति.
करण: एक तिथि में दो करण होते हैं – पूर्वार्ध और उत्तरार्ध. कुल 11 करण हैं: बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग, किस्तुघ्न. विष्टि करण को भद्रा कहते हैं, जिसमें शुभ कार्य वर्जित हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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