Kanwar Yatra: हिंदू धर्म में सावन मास भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इसे सबसे पवित्र महिनों में से एक माना जाता है. इस पूरे माह शिव भक्त भगवान भोले नाथ की भक्ति में लीन उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. सावन माह में माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न होते हैं. पवित्र श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. वहीं सावन की शुरुआत होते ही शिव भक्त कांवड़ उठा चल पड़ते हैं भोलेनाथ को जल चढ़ाने. माना जाता है कि इस पवित्र यात्रा के दौरान कई तरह के जतन करने पड़ते हैं. ऐसे में कांवड़ यात्रा से जुड़े कुछ नियमों को जानना भी जरूरी है.
कांवड़ यात्रा पर ध्यान देने योग्य कुछ बातें
कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को मदिरा और तामसिक भोजन से पूरे सावन परहेज करना चाहिए. कई कांवरिये इस यात्रा के दौरान अन्न और नमक का सेवन नहीं करते हैं. वहीं पवित्र काँवड़ को कंधे पर रखने के बाद कांवरिये जल का भी सेवन नहीं करते हैं. इसके अलावा इस यात्रा में जो सबसे खास बात है वह यह है कि जल से भरी हुई कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जता है. बहुत जरूरी होने पर कांवड़ को किसी ऊंचे स्थान पर ही रखना चाहिए. इसके अलावा कांवड़ को किसी पेड़ के नीचे भी नहीं रखा जाता है. वहीं कांवड़ को अपने सिर के ऊपर से लेकर जाना भी वर्जित माना गया है.
अपनी श्रद्धानुसार कुछ कांवरिये यह यात्रा नंगे पैर ही पूरी करते हैं. कांवड़ ले जाते हुए जहां बोल बम का नारा लगाना चाहिए वहीं कांवड़ यात्रा के दौरान किसी के लिए भी बुरे या अपशब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए. वहीं जो सबसे खास बात है वह यह है कि इस पूरी यात्रा के दौरान कंवरिया अपने किसी भी साथी या अन्य साथी का नाम उच्चारित नहीं करते हैं. या तो वो उसे बोल बम या भोले नाम से संबोधित करते हैं.
सावन 2023 में ये दिन भगवान शिव को जल अर्पित करने के लिए हैं खास
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