Shardiya Navratri 2024 Day 1 Puja Vidhi Bhog Mantra Aarti: आज से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो गया है. ऐसे में आज शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाएगी. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश या घटस्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण देवी के प्रथम स्वरूप को शैलपुत्री कहा जाता है. इसका वाहन वृषभ यानी बैल है. धार्मिक मान्यता है कि जो कोई श्रद्धापूर्वक माता शैलपुत्री की उपासना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि नवरात्रि के पहले दिन कलश या घटस्थापना कैसे करें और मां शैलपुत्री की पूजा का विधान क्या है.
नवरात्रि के पहले दिन कलश यानी घटस्थापना का विधान है. घटस्थापना के दौरान मिट्टी या तांबे के कलश में मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है. घटस्थापना के लिए जल युक्त नारियल, गंगाजल, लाल वस्त्र, रोली, मौली, चंदन, पान, सुपारी, धूप दीप, घी, तिल का तेल, मेवे, फल, फूल और बेलपत्र इत्यादि की आवश्यकता होती है. पंचांग के अनुसार, घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक है.
घटस्थापना से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें. इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें. इसके बाद उस चौकी पर माता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
घटस्थापना के बाद माता शैलपुत्री का ध्यान करें और नवरात्रि व्रत का संकल्प लें. इसके बाद माता शैलपुत्री की षोड्षोपचार पूजन करें.
माता शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद और पीले फूल अर्पित करें. साथ ही उनके समक्ष धूप-दीप जलाएं. इसके साथ भी माता के समक्ष घी के पांच दिए जलाएं. इसके बाद माता शैलपुत्री के मंत्रों का उच्चारण करें. फिर, माता शैलपुत्री की आरती करें.
पूजन के दौरान दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती या दुर्गा स्तुति का पाठ करना शुभ फालदायी होगा. पूजन के अंत में माता शैलपुत्री को भोग लगाकर उसे वितरित करें.
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नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा का विधान है. ऐसे में इस दिन उनकी पूजा करने के बाद उनका पसंदीदा भोग लगाएं. कहते हैं कि माता शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद प्रिय है. ऐसे में उनकी कृपा पाने के लिए उन्हें सफेद रंग की वस्तुओं का भोग लगाएं.
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम्
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:
ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:
शैलपुत्री मां बैल पर सवार, करें देवता जय जयकार
शिव शंकर की प्रिय भवानी, तेरी महिमा किसी ने ना जानी
पार्वती तू उमा कहलावे, जो तुझे सिमरे सो सुख पावे
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू, दया करे धनवान करे तू
सोमवार को शिव संग प्यारी, आरती तेरी जिसने उतारी
उसकी सगरी आस पुजा दो, सगरे दुख तकलीफ मिला दो
घी का सुंदर दीप जला के, गोला गरी का भोग लगा के
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं, प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं
जय गिरिराज किशोरी अंबे, शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे
मनोकामना पूर्ण कर दो, भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो
जोर से बोलो जय माता दी, सारे बोले जय माता दी
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