ऋषि सुनक(Rishi Sunak) का नाम इन दिनों भारत के साथ साथ पाकिस्तान में भी हर खास-ओ-आम की जुबां पर है.वह ब्रिटेन के पहले गैर श्वेत प्रधानमंत्री बन गए हैं.पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी उनकेे प्रधानमंत्री बनने पर मिठाइयां बांटी जा रही हैं.असल में ऋषि सुनक का जितना ताल्लुक भारत से है उतना ही पाकिस्तान के शहर गुजरांवाला से है.पाकिस्तान का शहर गुजरांवाला वैसे तो पहलवानों और पहलवानी के किस्सों के लिए जाना जाता है लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है.ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के दादा-दादी ब्रिटिश हुकूमत वाले भारत में पैदा हुए थे, लेकिन उनका जन्म ब्रिटेन में हुआ. यही वह बात है कि जिससे यह रिश्ता कुछ मिला-जुला सा लगता है.
ऋषि सुनक का संबंध गुजरांवाला के एक पंजाबी खत्री परिवार से है, जो 1947 में बंटवारे के दौरान पाकिस्तान के हिस्से में चला गया.उनके दादा का नाम रामदास सुनक था जो 1935 में पाकिस्तान छोड़कर रोजी-रोटी की तलाश में कीनिया की राजधानी नैरोबी निकल गये थे.वहां उन्होंने मामूली तनख्वाह पर क्लर्क की नौकरी की.
उनके परिवार को करीब से जानने वाली क्वीन लायनेस के अनुसार, रामदास की पत्नी और ऋषि सुनक की दादी सुहाग रानी सुनक 1937 में केन्या की यात्रा करने से पहले, अपनी सास के साथ गुजरांवाला जाने से पहले दिल्ली चली आयीं. ऋषि का जन्म 1980 में ब्रिटेन के साउथेम्प्टन में हुआ. हालांकि 42 साल के सुनक के बारे में पाकिस्तान के सरकारी रिकॉर्ड में अधिकारिक तौर पर कोई विशेष जानकारी नहीं है.लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने सरकार को उन पर अपना दावा करने का सुझाव दिया है.
इस बारे में एक पाकिस्तानी शफत शाह ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे लगता है कि पाकिस्तान को भी ऋषि सुनक पर दावा करना चाहिए क्योंकि उनके दादा-दादी गुजरांवाला से थे, जो वहां से केन्या और फिर ब्रिटेन चले गए.’’ ग्रैंड फिनाले नामक ट्विटर हैंडल वाले किसी व्यक्ति ने लिखा, ‘‘वाह…क्या जबरदस्त उपलब्धि है. एक पाकिस्तानी अब ब्रिटेन में सबसे बड़े ओहदे पर विराजमान होने वाला है. विश्वास हो तो कुछ भी संभव है.’’
ये बेहद फख्र की बात है
इस बारे में बहुत से लोगों ने अपने अपने विचार रखे हैं. कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान और भारत दोनों को ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री पर फख्र महसूस होना चाहिए. याकूब बंगाशी ने ट्वीट किया, ‘‘अमेरिका में इस उम्मीद के साथ बिस्तर पर जा रहा हूं कि गुजरांवाला का पंजाबी सुबह ब्रिटेन का प्रधानमंत्री होगा. पाकिस्तान और भारत दोनों को इस पल पर संयुक्त रूप से गर्व होना चाहिए.’’
जुल्फिकार जट्ट (35) ने कहा कि ऐसी भी आशंकाएं हैं कि दोनों देश इस दावे की होड़ में उतर सकते हैं कि सुनक उनकी जमीन का बेटा है. जट्ट ने कहा, ‘‘चूंकि गुजरांवाला (Gujranwala) पाकिस्तान में है, इसलिए जो 100 साल पहले इस शहर का था, वह आज पाकिस्तानी है.’’ अख्तर सलीम जैसे अन्य लोग चाहते हैं कि सुनक कोहिनूर हीरे के बहुप्रतीक्षित मुद्दे को संबोधित करें. सलीम ने कहा, ‘‘चूंकि वह प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, मुझे लगता है कि पाकिस्तान को उनसे कोहिनूर हीरा लौटाने के लिए कहना चाहिए जो लाहौर से चुराया गया था.’’
बहरहाल, इतना जरूर है कि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के मुद्दे पर ही सही, दोनों देशों की अवाम इस मामले में अपनी तल्खियां कम करते दिख रहे हैं और उनसे जितना संभव हो,अपने-अपने देश का रिश्ता जोड़ रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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