Rent agreement Rule: आज के दौर में लोग नौकरी के लिए एक शहर से दूसरे शहर शिफ्ट हो जाते हैं. वैसे तो भारत में हर इंसान का सपना अपने घर का होता है लेकिन सभी की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वो घर ले पाए या बनवा सके. इसलिए देश में रेट पर घर या फ्लैट लेने की परंपरा तेजी से बढ़ रही है.
जब भी कोई किराएदार किराए पर घर लेने जाता है तो मकान मालिक उसे रेंट एग्रीमेंट के लिए बोलता है और बिना रेंट एग्रीमेंट के अपना घर किराए पर नहीं देता. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रेंट एग्रीमेंट हमेशा 11 महीने के लिए ही क्यों बनता है और इसका नियम क्या है? आइए जानते हैं इसके बारे में.
रेंट एग्रीमेंट एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट होता है इसमें बताया जाता है कि किराएदार किराए पर घर कैसे लेगा और किराएदार और घर के मालिक के क्या-क्या अधिकार और जिम्मेदारियां है. इनमें मासिक किराया, घर का इस्तेमाल, सुरक्षा जमा, किराए का समय और अन्य कई चीजें शामिल होती हैं.
11 महीने के लिए रेंट एग्रीमेंट बनाने के पीछे की वजह यह है कि मकान मालिकों की बाद में कानूनी परेशानी से बचने की कोशिश होती है क्योंकि कानूनी तौर पर ऐसे पट्टे में जहां लंबी अवधि के लिए समझौता होता है अक्सर किराया, किराएदार और कार्यकाल जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. यह किराया नियंत्रण कानूनों के तहत किराएदार द्वारा प्रॉपर्टी को आगे किराए पर लगाने की संभावना को बढ़ावा देता है जो कि किरायेदार के अनुकूल है.
आपको बता दें, 11 महीने के रेंट एग्रीमेंट बनवाने के पीछे रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 है. रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के सेक्शन 17 के नियमों के मुताबिक, एक साल से कम टाइम के लिए लीज एग्रीमेंट को रजिस्टर कराना जरुरी नहीं है. मतलब कि एक साल या 12 महीने से कम समय के लिए आप बिना रजिस्ट्रेशन के रेंट एग्रीमेंट बनवा सकते हैं. यह ऑप्शन मकान मालिकों और किराएदारों को सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर डाक्यूमेंट्स रजिस्टर कराने और रजिस्ट्रेशन चार्ज देने के प्रोसेस से बचाता है.
रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड करवाने की जगह ज्यादातर मकान मालिक और किराएदार इसे नोटरीफाइड करवा लेते हैं. इसमें किराए के मकान, फ्लैट, रूम का पत्ता, मौजूदा स्थिति और शर्तों के साथ दोनों पार्टियों और गवाहों के दस्तखत होते हैं. इसे एक तय समय पर किसी भी एक पार्टी की ओर से नोटिस के बाद एग्रीमेंट को खत्म किया जा सकता है. सबसे बड़ी बात 11 महीने की रेंट एग्रीमेंट की वजह से मकान मालिकों को हर साल 10 फीसदी रेंट बढ़ाने का मौका भी मिल जाता है. वहीं, किराएदारों को पसंद नहीं आने पर घर बदलने की आजादी रहती है.
-भारत एक्सप्रेस
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