Satellite Toll System: भारत में अगर कोई कहीं आपना वाहन लेकर ट्रेवल करता है और वह एक स्टेट से दूसरे स्टेट जाता है तो उसे टोल टैक्स चुकाना पड़ता है. टोल टौक्स के लिए भारत में टोल प्लाजा बनाए गए हैं. जहां गाड़ियों को टोल टैक्स देना होता है. पहले भारत में टोल टैक्स चुकाने के लिए टोल प्लाजाओं पर वाहनों की लंबी कतारें लगा करती थीं. जिसमें लोगों का अच्छा खासा वक्त जाया हो जाता था. लेकिन अब पूरे भारत में टोल प्लाजाओं पर फास्टैग की सर्विस चालू हो गई है.
अब किसी को भी टोल टैक्स देने के लिए लाइन में लगना नहीं पड़ता. फास्टैग के जरिए लोग तुरंत ही टोल चुका कर आगे बढ़ जाते हैं. लेकिन अब खबर यह आ रही है कि टोल प्लाजा बंद हो सकते हैं. क्योंकि अब सैटेलाइट से टोल कटने वाली तकनीक आ रही है. अब लोगों के मन में सवाल आ रहा है क्या फास्टैग स्टीकर गाड़ियों से हटाने पड़ जाएंगे. तो चलिए बताते है इसके बारे में.
भारत में पिछले कुछ साल पहले टोल टैक्स कलेक्ट करने के सिस्टम को बदलने के लिए प्रक्रिया चल रही है. पहले जहां मैन्युअल टोल टैक्स कलेक्टिंग को हटाकर फास्टैग से टोल टैक्स देने की प्रक्रिया शुरु की गई. तो वहीं अब सेटेलाइट द्वारा टोल टैक्स वसूल के लिए सिस्टम डेवलप करने की बात चल रही है. इस नए सिस्टम को जीएचएस यानी ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम कहा जाएगा. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने हाल ही में बेंगलुरु मैसूर एक्सप्रेसवे पर जीएनएसएस टोल सिस्टम लागू करने की बात कही है.
इस टोल टैक्स सिस्टम द्वारा गाड़ी कितनी चली उसी हिसाब से टोल टैक्स वसूला जाएगा. सेटेलाइट द्वारा वाहन की पूरी जानकारी सिस्टम में मौजूद होगी. इशके लिए ना तो वाहन को टोल प्लाजा पर रुकना होगा और ना ही किसी तरह की स्कैनिंग करवानी होगी. ना ही कोई पेमेंट करनी होगी. ऑटोमेटेकली अकाउंट से जीएनएसएस सिस्टम द्वारा टोल कट जाएगा.
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अब लोगों के मन में यह सवाल आ रहा है क्या इस ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम लागू होने के बाद गाड़ियों में लगे फास्टैग स्टीकर हटाने पड़ेंगे. तो बता दें ऐसा करने की जरूरत नहीं होगी. फिलहाल दी गई जानकारी के मुताबिक हाइब्रिड मॉडल पर ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम यानी GNSS टोल सिस्टम लागू किया जाएगा.
बता दें भारत सरकार फिलहाल GNSS ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम को चुनिंदा जगहों पर ही लागू करने जा रहा है. यह भारत में फिलहाल हाइब्रिड मॉडल पर काम करेगा. यानी ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम से भी टोल कटेगा और फास्टैग के माध्यम से भी टोल कटता रहेगा.
-भारत एक्सप्रेस
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