अचानक ऐसा क्या हो गया कि अमेरिकी मीडिया रातों-रात प्रधानमंत्री मोदी का मुरीद हो गया ? ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी मीडिया खासतौर पर द वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयार्क टाइम्स मोदी सरकार की नीतियों का सख्त आलोचक रहा है।इन अखबारों में भारत विरोधी लेख प्रकाशित होते रहते हैं.लेकिन यही अखबार अब मोदी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं.सारा किस्सा ये है कि यूक्रेन के साथ जंग में फंसे रूस को प्रधानमंत्री मोदी ने इशारों इशारों में नसीहत दे दी. शंघाई शिखर सम्मेलन के दौरान जब मोदी और पुतिन बातचीत के लिए बैठे तो प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह यूक्रेन में युद्ध करने का समय नहीं है.इसे ब्लादिमीर पुतिन को मोदी की सीख के तौर पर देखा जा रहा है.अमेरिकी मीडिया ने दोनों की मुलाकात को भरपूर कवरेज दी है
द वाशिंगटन पोस्ट ने क्या लिखा?
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने शीर्षक दिया, ‘मोदी ने यूक्रेन में युद्ध के लिए पुतिन को फटकार लगाई.’ इस अखबार ने लिखा, ‘मोदी ने पुतिन को आश्चर्यजनक रूप से सार्वजनिक फटकार लगाते हुए कहा, ‘आधुनिक दौर युद्ध का युग नहीं है और मैंने आपसे इस बारे में फोन पर बात की है.’ इसमें कहा गया कि इस आलोचना के कारण 69 वर्षीय पुतिन खासे दबाव में दिखे’
मोदी को पुतिन का उत्तर
पुतिन ने मोदी से कहा, ‘मैं यूक्रेन में संघर्ष पर आपका रुख जानता हूं, मैं आपकी चिंताओं से वाकिफ हूं, जिनके बारे में आप बार-बार बताते रहते हैं। हम इसे जल्द से जल्द रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। दुर्भाग्यवश, विरोधी पक्ष यूक्रेन के नेतृत्व ने बातचीत प्रक्रिया छोड़ने का ऐलान किया. उसने कहा कि वह सैन्य माध्यमों से यानी ‘युद्धक्षेत्र में’ अपना लक्ष्य हासिल करना चाहता है. फिर भी, वहां जो भी हो रहा है, हम आपको उस बारे में सूचित करते रहेंगे.’
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने क्या लिखा?
यह ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ और ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने इसे प्रमुखता से छापा’. द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने शीर्षक दिया, ‘भारत के नेता ने पुतिन को बताया कि यह युद्ध का दौर नहीं है।’ उसने लिखा, ‘बैठक का लहजा मित्रवत था और दोनों नेताओं ने अपने पुराने साझा इतिहास का जिक्र किया। मोदी के टिप्पणी करने से पहले पुतिन ने कहा कि वह यूक्रेन में युद्ध को लेकर भारत की चिंताओं को समझते हैं’
अमेरिकी मीडिया क्यों है हैरान ?
रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ने के बाद से अमेरिकी मीडिया भारत की आलोचना कर रहा था उसकी वजह ये थी कि इस युद्ध में भारत ने न्यूट्रल रवैया बनाए रखा.अमेरिका चाह रहा था कि भारत यूक्रेन का साथ दे.उसने भारत पर दबाव भी डाला ,उनके विदेश मंत्री भारत आए और उन्होंने भारत को समझाया भी लेकिन भारत ने इस युद्ध से खुद को दूर रखा.उधर भारत ने इस दौरान गजब की डिप्लोमेसी का परिचय दिया और रूस से सबसे ज्यादा तेल भी खरीदा और वह भी सबसे सस्ते दामों पर.रूस पर अमेरिकी पाबंदी के बावजूद भारत ने रूस की करेंसी में ही जमकर तेल खरीदा ,इससे दुनिया हैरान थी.जब भारत पर रूस से तेल खरीदने पर सवाल उठे तो विदेश मंत्री जयशंकर ने करारा जवाब दिया और कहा था कि जितना तेल यूरोपिय देश 1 दिन में खरीदते हैं,उतना भारत एक महीने में खरीदता है.यूरोप की अपनी पॉब्लम और यूरोपिय देशों की समस्या भारत की समस्या नहीं है.इन सबके बावजूद जब शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में मोदी ने सभी देशों के सामने पुतिन को नसीहत दी और कहा कि ये युद्ध का समय नहीं है,यही वजह है कि अमेरिकी मीडिया पुतिन को भारत की नसीहत पर लहालोट हुआ जा रहा है.
–भारत एक्सप्रेस
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