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क्या पंजाब बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित होंगे कैप्टन अमरिंदर,19 सितंबर को PLC का बीजेपी में होगा विलय

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह क्या बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं. पंजाब की राजनीति में कभी अकाली दल की  जूनियर पार्टनर रही बीजेपी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच दूरियां अब नजदीकियों में तब्दील हो चुकी हैं.ये हालात तब बने विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टेन ने कांग्रेस आलाकमान से मनमुटाव और नवजोत सिद्धू के रवैये की वजह से पार्टी छोड़ दी और अपनी पार्टी बना ली जिसका नाम है पंजाब लोक कांग्रेस.अब खबर ये है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह 19 सितंबर को नई दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर लेंगे.कैप्टन अमरिंदर के साथ पंजाब के छह पूर्व मंत्रियों के अलावा उनके पुत्र रनिंदर सिंह, बेटी जयइंदर कौर और पोता निर्वाण सिंह भी बीजेपी की सदस्यता लेंगे। इस बीच पंजाब बीजेपी के पुनर्गठन की तैयारी भी चल रही है, जिसमें माना जा रहा है कि कैप्टन पंजाब बीजेपी का प्रमुख चेहरा होंगे और पार्टी उन्हीं के नेतृत्व में अपने दम पर अगले चुनावों में उतरेगी.

बीजेपी को राजनीतिक फायदे की उम्मीद

दरअसल, पंजाब बीजेपी के पास इस समय कोई भी ऐसा कद्दावर नेता नहीं है, जो अपने बूते पर पार्टी को प्रदेश की सत्ता तक पहुंचा सके. बीजेपी हाईकमान का मानना है कि किसान आंदोलन ने पंजाब में बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचाया है. दिल्ली की सीमाओं पर करीब एक साल चले आंदोलन के दौरान पंजाब में बीजेपी का काडर बिखर गया और पार्टी वर्कर भी किनारा कर गए। इससे पहले, विजय सांपला को हटाकर अश्विनी शर्मा को अध्यक्ष बनाए जाने से भी प्रदेश इकाई दोफाड़ हुई और कई सीनियर नेताओं ने पार्टी से दूरी बना ली. अकाली दल के साथ 25 साल के गठबंधन ने भी बीजेपी को पंजाब में नुकसान ही पहुंचाया है. इस दौरान ना तो पार्टी का काडर बढ़ सका और न ही सीटें. पार्टी सूबे के ग्रामीण इलाकों तक ना पहुंचकर शहरों में ही सिमटी रही, जहां हिंदू और दलित वोट भी बिखरे रहने से बीजेपी को घाटा ही हुआ.

 

पंजाब की राजनीति में सिख चेहरा महत्वपूर्ण

कैप्टन ने 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान अपनी पार्टी का गठन करके बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन आम आदमी पार्टी की आंधी में कैप्टन अपनी सीट भी नहीं बचा सके .अब बीजेपी हाईकमान कैप्टन के पार्टी में आने को अपने लिए महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देख रही है. दरअसल, प्रदेश इकाई के पुनर्गठन के दौरान उसने जाने-माने सिख चेहरों को पार्टी के साथ जोड़ने की रणनीति भी बनाई है.माना जा रहा है कि पंजाब की राजनीति में लंबे वक्त से सक्रिय रहे,राज्य में उनका जनाधार भी है. इसलिए बीजेपी को लगता है कि वह उनके लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं.आपको बता दें कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रधानमंत्री कुछ महत्वपूर्ण फैसलों के मुरीद भी रहे हैं.

 

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