Bangladesh Violent Protests:
बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण स्थिति भयावह बनी हुई है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए करीब 1000 भारतीय स्टूडेंट्स वहां से भारत लौट आए हैं. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने शनिवार को कहा कि उसने भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए हर तरह की व्यवस्था की है. नागरिक उड्डयन, आव्रजन, लैंड पोर्ट और बीएसएफ अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित किया है. अलग-अलग लैंड पोर्ट से 778 भारतीय स्टूडेंट्स भारत लौटे हैं, जबकि करीब 200 स्टूडेंट्स ढाका और चटगांव हवाई अड्डों से नियमित उड़ान सेवाओं से स्वदेश लौटे. तीन सप्ताह से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में सोमवार को तनाव काफी बढ़ गए, जब ढाका विश्वविद्यालय में हिंसा भड़क उठी. इसके अगले दिन छह लोग मारे गए, जिसके बाद सरकार ने देश भर के विश्वविद्यालयों को बंद करने का आदेश दिया.
वापस लौटे छात्रों में से कई एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर रहे थे और उनमें से ज़्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मेघालय और जम्मू-कश्मीर से थे. शुक्रवार को छात्रों द्वारा वापस लौटने के लिए इस्तेमाल किए गए दो मुख्य मार्ग त्रिपुरा में अगरतला के पास अखुराह में अंतर्राष्ट्रीय भूमि बंदरगाह और मेघालय में दावकी में अंतर्राष्ट्रीय भूमि बंदरगाह थे. ढाका में भारतीय उच्चायोग और चटगांव, राजशाही, सिलहट और खुलना में सहायक उच्चायोग बांग्लादेश में हालिया घटनाक्रमों के बाद भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी में सहायता कर रहे हैं.
मामलें पर छात्रों ने कहा
छात्रों ने कहा कि वे कई दिनों से प्रतीक्षा कर रहे थे और स्थिति की गंम्भीरता पर नजर रखे हुए थे,जिसके बाद उन्होंने अस्थायी रूप से बांग्लादेश छोड़ने का निर्णय लिया, क्योंकि गुरुवार को इंटरनेट लगभग पूरी तरह बंद कर दिया गया था और टेलीफोन सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई थीं, जिससे वे प्रभावी रूप से अपने परिवारों से कट गए थे.
जानें क्या है मामला
बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था के तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों को वरीयता दी गई है. उन्हें 30 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है. इसी के साथ ही महिलाओं को 10 प्रतिशत दिया गया है. तो दूसरी ओर जातीय अल्पसंख्यकों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जबकि एक प्रतिशत विकलांगों के लिए नौकरियां आरक्षित हैं. प्रदर्शनकारी अल्पसंख्यकों और दिव्यांगों को आरक्षण देने के पक्षधर हैं, लेकिन वे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के वंशजों को लेकर विरोध कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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