एक सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश रचने के आरोपी निखिल गुप्ता को अमेरिका को सौंप दिया गया है और कैदियों की रिकॉर्ड के अनुसार, वह संघीय हिरासत में है.
फेडरल ब्यूरो ऑफ प्रीजन्स के रविवार के रिकॉर्ड के अनुसार, गुप्ता इस समय अमेरिका के ब्रुकलिन में मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद हैं. यहां संघीय अदालतों में पेशी का इंतजार कर रहे कैदियों को रखा जाता है.
अमेरिकी अभियोजकों का आरोप है कि निखिल गुप्ता को इस संबंध में एक अनाम भारतीय सरकारी अधिकारी ने निर्देश दिया था. भारत ने कथित साजिश से कोई लेना-देना होने से इनकार किया है. पिछले महीने चेक संवैधानिक न्यायालय ने गुप्ता की याचिका को खारिज कर दिया था, जिन्होंने अमेरिका में उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया था.
52 वर्षीय निखिल गुप्ता को हत्या के लिए सुपारी देने के आरोप में लोअर मैनहट्टन कोर्टहाउस में पेश किए जाने की उम्मीद है. उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के तहत 20 साल तक की जेल की सजा हो सकती है. गुप्ता को पिछले साल 30 जून को चेक रिपब्लिक में गिरफ्तार किया गया था. अमेरिका ने उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था.
गुप्ता ने इस साल के शुरू में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ चेक कांस्टिट्यूशनल कोर्ट में अपील की थी. पिछले महीने उसकी अपील खारिज होने के बाद प्रत्यर्पण संभव हो सका है.
अदालत के दस्तावेज के मुताबिक, ‘निक’ नाम का भी इस्तेमाल करने वाले गुप्ता पर एक अनाम भारतीय ‘वरिष्ठ फील्ड अधिकारी’ के साथ मिलकर ‘पंजाब को (भारत से) अलग कर खालिस्तान नाम से एक स्वायत्त राष्ट्र बनाने की वकालत करने वाले एक अमेरिकी संगठन’ के नेता की हत्या की साजिश रचने का आरोप है.
अदालती दस्तावेज में खालिस्तान समर्थक नेता के नाम का उल्लेख नहीं है, लेकिन मामला गुरपतवंत सिंह पन्नू से जुड़ा है, जो अमेरिका तथा कनाडा की नागरिकता रखता है. वह न्यूयॉर्क में रहता है और खालिस्तान के समर्थन में अभियान चलाता है.
इसके अलावा पन्नू ‘सिख फॉर जस्टिस’ का वकील है. यह अमेरिका स्थित एक संगठन है, जो खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करता है, जो सिखों के लिए एक स्वतंत्र मातृभूमि की मांग करता है. सिख भारत की आबादी का लगभग 2 प्रतिशत हैं.
उसे भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित कर रखा है.
निखिल गुप्ता के वकील जेफरी चैब्रो ने जनवरी में न्यूयॉर्क की एक अदालत को बताया था कि उसके परिवार के मीडिया में दिए गए बयानों से पता चलता है कि चेक रिपब्लिक की राजधानी प्राग में हिरासत के दौरान उसे बुनियादी मानवीय अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और लंबी अवधि के लिए एकांतवास में रखा जा रहा है.
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आरोपपत्र में कहा गया है कि गुप्ता को ‘वरिष्ठ फील्ड अधिकारी’ ने हत्या को अंजाम देने का जिम्मा सौंपा था. गुप्ता ने इस काम के लिए एक और व्यक्ति से संपर्क किया जिसे वह अपराधी समझ रहा था, लेकिन वह वास्तव में अमेरिकी कानून प्रवर्तक के लिए काम करने वाला गुप्त सूत्र था.
दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि उस व्यक्ति ने गुप्ता को एक शूटर से मिलवाया, जो दरअसल अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसी का एक अंडरकवर अधिकारी था. उसे हत्या को अंजाम देने के लिए एक लाख डॉलर का ऑफर दिया गया था.
गुप्ता ने कथित शूटर को 15 हजार डॉलर एडवांस और पन्नू के बारे में पूरी जानकारी दी थी.
अभियोजन पक्ष ने कहा कि गुप्ता ने खुद को नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी में शामिल बताया था और कहा था कि उसने ‘वरिष्ठ फील्ड अधिकारी’ की मदद से भारत में उसके खिलाफ मामले रफादफा कराए थे.
गुप्ता के वकील ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह अभियोजन पक्ष को मामले में और जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दे. अदालत ने यह कहते हुए अनुरोध ठुकरा दिया कि आरोपी को अदालत में पेश करने बाद अभियोजन पक्ष के पास मामले के विवरण उपलब्ध कराने के लिए 14 दिन का समय होता है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अप्रैल में कहा था कि ‘हमने भारत की सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि हम उनसे पूरी जांच की उम्मीद करते हैं और हम उस जांच के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं.’
नवंबर 2023 में ह्वाइट हाउस ने कहा था कि उसने पन्नू के खिलाफ कथित हत्या की साजिश के बारे में भारत के साथ सबसे वरिष्ठ स्तर पर बात की थी. तब भारतीय अधिकारियों ने कथित साजिश से खुद को अलग करते हुए कहा था कि ऐसी कार्रवाई सरकारी नीति के खिलाफ है. यह भी कहा गया था कि भारत ने निखित गुप्ता के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाई है.
-भारत एक्सप्रेस
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