Indians New Record: विदेशों से पैसा घर भेजने के मामले में भारतीय टॉप पर पहुंच गए हैं. दूसरे नम्बर पर मेक्सिको है, जिसने 2022 में सबसे ज्यादा रेमिटेंस (वह धन जो किसी को किसी चीज का भुगतान या खर्च करने के लिए भेजा जाता है) प्राप्त किया. इसके अलावा फ्रांस, चीन और फिलीपींस ने टॉप-5 में पहुंचे हैं तो वहीं बांग्लादेश और पाकिस्तान टॉप-10 में शामिल हैं.
ये आंकड़े इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) ने जारी किए हैं. संगठन ने बताया है कि साल 2022 में दूसरे देशों से भारत में 111 बिलियन डॉलर भेजे गए हैं और यह आंकड़ा दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक है. बीते मंगलवार (7 मई) को IOM ने 2024 की वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट जारी की है.
IOM की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा रेमिटेंस प्राप्त करने वाले 10 देशों की लिस्ट में चार एशियाई देश शामिल हैं. बता दें कि दुनिया भर के तमाम देशों में लगभग 2 करोड़ प्रवासी भारतीय रहते हैं, जो हर साल अरबों डॉलर भारत में रह रहे अपने परिवार को भेजते हैं. इसी को रेमिटेंस कहा जाता है.
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रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2010 में भारत में प्रवासी भारतीयों द्वारा रेमिटेंस के रूप में 53.48 बिलियन डॉलर भेजे गए तो वहीं 2015 में 68.19 बिलियन डॉलर और 2020 में 83.15 बिलियन डॉलर.
रिपोर्ट में कहा गया कि दक्षिण एशिया के सबसे ज्यादा माइग्रेंट वर्कर हैं, इसलिए दुनियाभर में रेमिटेंस प्राप्त करने के मामले में यह सबसे आगे हैं. पाकिस्तान में 30 बिलियन डॉलर और बांग्लादेश में 21.5 बिलियन डॉलर रेमिटेंस के रूप में मिले हैं.
रिपोर्ट में विदेशों में काम कर रहे माइग्रेंट वर्कर की रकम को लेकर भी जिक्र किया गया है. साथ ही उनकी स्थिति का भी जिक्र है. इसके अनुसार, विदेशों में काम कर रहे असंख्य माइग्रेंट वर्कर आर्थिक तंगी समेत कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं. माइग्रेशन के खर्चों के चलते इन पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है. इन लोगों को वर्कप्लेस पर दुर्व्यवहार और नौकरी के समय जिनोफोबिया (Xenophobia) जैसी चीजों का सामना करना पड़ता है. जिनोफोबिया का मतलब है विदेशियों द्वारा नापसंद किया जाना है.
रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश में जाकर पढ़ाई से लेकर नौकरी करने तक के लिए सबसे अधिक भारतीय जाते हैं. दुनिया के तमाम देशों में भारत के करीब 1 करोड़ 80 लाख भारतीय रहते हैं, जो कि देश की कुल जनसंख्या का 1.3 फीसदी हिस्सा है, जो सबसे अधिक अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब में रहता है. इस तरह से दुनियाभर में सबसे ज्यादा माइग्रेंट भारत के ही हैं.
गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल (GCC) के देशों की कुल जनसंख्या में माइग्रेंट्स का हिस्सा फिलहाल अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया कि दुनियाभर के देशों के सबसे अधिक नागरिक खाड़ी देशों की ओर ही रुख कर रहे हैं. इस तरह से ये संख्या यूएई में 88, कुवैत में 73 और कतर में 77 प्रतिशत है. तो वहीं प्रवासी नागरिकों के मामले में भारत 13वें नंबर पर है. रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर 44 लाख 80 हजार प्रवासी नागरिक निवास करते हैं.
पढ़ाई के लिए सबसे अधिक लोगों को अमेरिका पसंद है. यहां पर दुनियाभर से सबसे अधिक नागरिक पहुंचते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 में 8 लाख 33 हजार प्रवासी छात्र यहां अध्ययन करने के लिए गए. इसी तरह यूनाइटेड किंगडम में 6,01,000, ऑस्ट्रेलिया में 3,78,000, जर्मनी में 3,76,000 और कनाडा में 3,18,000 विद्यार्थी पढ़ाई करने गए थे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि पढ़ाई करने के लिए विदेश जाने वालों में सबसे अधिक संख्या चीन के विद्यार्थियों की है. तो वहीं दूसरे नंबर पर भारत है. वर्ष 2021 में 5,08,000 भारतीय छात्र पढ़ने के लिए विदेश गए थे. इससे दुगनी संख्या चीन की है.
रिपोर्ट की मानें तो दो देशों के बीच लोगों के आने-जाने वाले टॉप 10 देशों में भारत-यूएई, भारत-अमेरिका, भारत-सऊदी अरब, बांग्लादेश-भारत शामिल हैं. इन देशों की ओर रुख करने वाले नागरिक नौकरी से लेकर पढ़ाई या फिर दूसरी वजहों से से एक-दूसरे के देश में सबसे अधिक निवास करते हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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