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Swami Vivekananda : जब अमेरिकन लड़की ने रखा शादी का प्रस्‍ताव…तो क्या था स्वामीजी का जवाब ?

वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु स्वामी के प्रवचनों से मिली सीख भारत समेत दुनियाभर के युवाओं को प्रेरित करती है. उनका जन्‍म 12 जनवरी को कोलकाता में हुआ था, बचपन में उन्‍हें नरेंद्रनाथ कहा जाता था. वह 25 वर्ष की आयु में सांसारिक मोह-माया का त्याग कर आध्यात्म और हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार में जुट गए थे. उनकी यह यात्रा 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुए वैश्विक धर्म सम्‍मेलन के उपरांत फलीभूत हुई, जहां दिए गए उनके भाषण ने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ पेश किया.

कवि कुमार विश्‍वास ने एक मंच पर स्वामी विवेकानंद का प्रसंग सुनाया था, यदि आपने वो नहीं सुना तो यहां पढ़ सकते हैं. दरअसल, बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद गए हुए थे. वहां उनका संबोधन सुनकर महिलाएं और पुरुष उनके प्रति आकर्षित होने लगे. उनको देखकर एक खूबसूरत महिला उनसे कहती है- “आई वांट टू डू मैरी..इफ वी गॉट मैरिज, तो सोचिए हमारा पुत्र कितना अच्छा होगा…जो मेरे जैसा सुंदर हो और तुम जैसा बुद्धिमान.”

बकौल कुमार विश्‍वास, “उस विदेशी महिला की बात सुनकर स्वामी विवेकानंद ने जो जवाब दिया…उसकी चर्चा आज तक होती है. उन्‍होंने महिला से मुस्कुराते हुए कहा- विवाह की क्या आवश्यकता है माता, आज से मैं तुम्हारा पुत्र हूं. मैं तो उस देश से हूं जहां पराधीन भारत का कोई प्रतिनिधि तक स्वीकार नहीं किया गया था शिकागो के धर्म सम्मेलन में.

शिकागो में युवती ने उनसे ऐसा कहा था

शिकागो में वैश्विक धर्म सम्‍मेलन के दौरान जब स्वामी विवेकानंद ने संबोधन दिया था, तो भाइयों और बहनों से शुरूआत की थी. जब उनकी स्‍पीच खत्‍म हुई तो वहां 3 मिनट तक उनके लिए तालियां बजीं. अमेरिकन ब्रदर्स और सिस्टर जब नीचे उतरने लगे तो वहीं आयोजन मंडली की एक 22-23 वर्ष की युवती ने उनसे ये कहा था- आई डू वांट टू मेरी. उसका कहना था- मैं आपसे शादी करना चाहती हूं. स्वामी जी ने मना किया, जब उसने तीसरी बार कहा तो स्वामी जी ने पूछा- आप मेरे से शादी क्यों करना चाहती हैं. उसने जवाब दिया- अगर आप शादी कर लेंगी तो सोचिए हमारा पुत्र कितना अच्छा होगा. जो मेरे जैसा सुंदर हो और तुम जैसा बुद्धिमान.

मगर…विवेकानंद की एक ‘ना’ ने उस समय अध्‍यात्‍म एवं संत परंपरा के दर्शन दुनिया को करा दिए.

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– भारत एक्‍सप्रेस

Vijay Ram

ऑनलाइन जर्नलिज्म में रचे-रमे हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट्स के क्रिएटिव प्रेजेंटेशन पर फोकस रहा है. 10 साल से लेखन कर रहे. सनातन धर्म के पुराण, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में दो दशक से अध्ययनरत. सन् 2000 तक के प्रमुख अखबारों को संग्रहित किया. धर्म-अध्यात्म, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति, राजनीति और फिल्मी खबरों में रुचि.

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