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America में आज तक नहीं हुई एक भी महिला राष्ट्रपति, क्या इस बार हो सकता है बदलाव?

दुनिया को लोकतांत्रिक मूल्यों का पाठ पढ़ाता सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका (America) क्या इस बार वो करेगा जो भारत दशकों पहले कर चुका है! क्या देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर एक महिला काबिज हो पाएगी? क्या भारतीय-अफ्रीकी मूल की कमला हैरिस (Kamala Harris) को अमेरिका अपनी कमान सौंपेगा?

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि ये देश इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ा है. जो बाइडेन (Joe Biden) के खुद ही चुनावी समर से हटने के बाद डेमोक्रेट्स (Democrates) ने कमला हैरिस को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. अगर ये देश चाहेगा तो अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में इस बार वो होगा जो इससे पहले कभी नहीं हुआ.

क्या बोलती है पब्लिक

पिछले हफ्ते YouGov के आंकड़ों ने अमेरिका में ‘महिला नेतृत्व’ को लेकर फिर से चर्चा छेड़ दी. आंकड़ों के मुताबिक आधे से ज्यादा उत्तरदाताओं (54%) ने कहा कि अमेरिका एक महिला को राष्ट्रपति (Woman President) के रूप में चुनने के लिए तैयार है.

हालांकि यह संख्या 2015 के सर्वे से कम है. 2016 डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन (Hillary Clinton) के अभियान के पहले महीने के दौरान 63% लोगों ने कहा था कि देश अपने सर्वोच्च पद पर एक महिला को चुनने के लिए तैयार है.

तमाम मतदाताओं के लिए 2016 में हिलेरी क्लिंटन की हार और 2020 और 2024 के डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन प्राइमरी में कई महिला उम्मीदवारों की हार यह संकेत दे सकती है कि देश अभी महिला राष्ट्रपति चुनने के लिए तैयार नहीं है. हाल ही में YouGov का सर्वे इस धारणा को और पुष्ट करता है.

रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप. (फोटो: IANS)

रुढ़िवादी सोच

बहुत से लोग अभी भी आदर्श राष्ट्रपति के बारे में अपने विचारों के साथ अधिक रूढ़िवादी रूप से पुरुषों को आइडेंटिफाई करते हैं. या नीतिगत मुद्दों के बारे में रूढ़िवादी, लिंग आधारित जुड़ाव रखते हैं. उदाहरण के लिए विदेश नीति और अर्थव्यवस्था को अक्सर ऐसे मुद्दों के रूप में देखा जाता है, जिन्हें संभालने के लिए पुरुष बेहतर होंगे.

दरअसल, मतदान के आंकड़ों से पता चलता है कि हैरिस को विदेश नीति, मुद्रास्फीति और अपराध जैसे रूढ़िवादी मर्दाना मुद्दों पर डोनाल्ड ट्रम्प की तुलना में कमजोर माना जाता है. हालांकि, गर्भपात के अधिकार, जलवायु परिवर्तन से निपटने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में सुधार जैसे मुद्दों पर उन्हें (हैरिस) मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा जाता है.

ये मुद्दे वर्तमान में समाचार में सबसे ऊपर हैं और परिणामस्वरूप मतदाताओं के दिमाग में सबसे आगे हैं. अगर कमला हैरिस इन मुद्दों पर अपने अनुभव और नीतिगत योजनाओं पर जोर देना जारी रखती हैं, तो वह मतदान का एक बड़ा हिस्सा जीत सकती हैं.

कौन हैं कमला हैरिस

अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अब अमेरिका के राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हो गई हैं. वह पहली भारतीय-अफ्रीकी मूल की महिला हैं, जो राष्ट्रपति की रेस में शामिल हुई हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ कमला हैरिस.

कमला हैरिस 20 जनवरी, 2021 को अमेरिका की पहली उपराष्ट्रपति बनी थीं. उनसे पहले कोई भी महिला इस पद तक नहीं पहुंच पाई. हालांकि, 2016 में राष्ट्रपति पद के लिए हिलेरी क्लिंटन ने डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को चुनौती दी थी, लेकिन, उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

कमला का जन्म 20 अक्टूबर 1964 को कैलीफोर्निया में भारतीय और जमैकन मूल के माता-पिता के घर में हुआ था. कमला की मां श्यामला गोपालन भारतीय मूल की थीं और उनके पिता डोनाल्ड जैस्पर हैरिस का नाता जमैका से था. कमला हैरिस के लिए बचपन अच्छा नहीं बीता.

भारत आना-जाना

वह जब सात साल की थीं तो उनके माता-पिता अलग हो गए. उनकी मां श्यामला गोपालन ने ही कमला और उनकी बहन की देखरेख की. उन्होंने अपनी मां के जीवन से काफी कुछ सीखा. बचपन के दिनों में अपनी मां के साथ हिंदू मंदिर जाती थीं. इस दौरान उनका भारत भी आना-जाना लगा रहा.

उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की. कमला हैरिस ने साल 2014 में वकील डगलस एम्पहॉफ से शादी की. उनके पति यहूदी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के 235 वर्ष के इतिहास में कमला हैरिस को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा है, लेकिन क्या महिला सशक्तिकरण की मुनादी करने वाला देश वो कर दिखाएगा जिसे भारत दशकों पहले साबित कर चुका है?

भारत में महिला नेतृत्व

भारत की बात करें तो इंदिरा गांधी देश की पहली प्रधानमंत्री रह चुकी हैं. वह भी एक बार नहीं बल्कि दो बार 1966 से 1977 तक फिर 1980 से 84 तक यानी देश की आजादी के डेढ़ दशक बाद ही महिला सशक्तिकरण का अद्भुत उदाहरण भारत ने पेश किया. वहीं राष्ट्रपति के पद पर भी दो महिलाओं को इस देश ने चुना. प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 2007 से 2012 तक तो वर्तमान में द्रौपदी मुर्मू सर्वोच्च संवैधानिक पद पर 2022 से आसीन हैं.

(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)

-भारत एक्सप्रेस

Prashant Verma

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