घटिया चिकित्सा उपकरण बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ AMTZ के आरोपी अधिकारी ने कार्रवाई में जानबूझकर देरी करते हुए तरह खामी बरती कि AMTZ अदालत में कंपनी के सामने टिक ही नहीं पाया. आंध्र प्रदेश मेडटेक जोन (AMTZ) के विवादित प्रबंध निदेशक डॉ जितेंद्र शर्मा पीएम केयर फंड में की गई कथित गड़बड़ी के आरोप में उलझते नजर आ रहे हैं. मामला कोरोना महामारी की जानलेवा दूसरी लहर में ऑक्सीजन कन्संट्रेटर की खरीद से जुड़ा है. आरोप है कि शर्मा ने दो ऐसी कंपनियों से ऑक्सीजन कन्संट्रेटर खरीद लिए, जिन्होंने गुणवत्ता और मानदंडों का पालन ही नहीं किया. लेकिन जानबूझकर समय रहते उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. एक सोची-समझी रणनीति के चलते एक कंपनी के खिलाफ कार्रवाई में इतनी कोताही बरती गई कि कंपनी AMTZ के खिलाफ तुरंत स्टे लेने में सफल हो गई.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के दो फैसलों को महज दो महीने में ही पलटवाने वाले आंध्र प्रदेश मेडटेक के विवादित प्रबंध निदेशक डॉ जितेंद्र शर्मा एक नए विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं. इस बार मामला पैक केयर फंड से होने वाली खरीद से जुड़ा हुआ है. आरोप है कि उन्होंने नियमों को दरकिनार कर पीएम केयर फंड का दुरुपयोग करने की कोशिश की थी. मामला कोरोना की जानलेवा दूसरी लहर के समय का है. जिस समय संक्रमण से पीड़ित लोग ऑक्सीजन की कमी के कारण दम तोड़ रहे थे, उस समय कई भ्रष्ट नौकरशाह अवैध कमाई के रास्ते तलाश रहे थे.
दरअसल ONGC ने AMTZ के माध्यम से 12 हजार ऑक्सीजन कन्संट्रेटर खरीदने का करार किया था. सूत्रों की मानें तो पीएम केयर फंड से होने वाली इस खरीद का ऑर्डर एक ही कंपनी को दिया जाना था. आरोप है कि डॉ जितेंद्र शर्मा ने अपने पद का नाजायज फायदा उठाते हुए 12 हजार में से दो हजार ऑक्सीजन कन्संट्रेटर खरीदने का ठेका दो अलग-अलग कंपनियों को दे दिया. दिसम्बर 2021 में टेस्टिंग के दौरान दोनों ही कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑक्सीजन कन्संट्रेटर गुणवत्ता में फेल हो गए. लिहाजा ONGC ने उन्हें खरीदने से इंकार कर दिया.
सूत्रों की मानें तो ONGC के इंकार के बाद दोनों ही कंपनियों ने अपने ही खराब ऑक्सीजन कन्संट्रेटर वापस लेने से इंकार कर दिया. सूत्रों की मानें तो इन दोनों ही कंपनियों ने AMTZ के एक आला अधिकारी को स्पष्ट कर दिया कि उन्हें किसी भी तरह का नुकसान हुआ तो वह उस अधिकारी द्वारा उनसे वसूली गई काली कमाई का पूरा सच सार्वजनिक कर देंगी. शायद यही वजह है कि दोनों ही कंपनियों के खिलाफ उस समय जानबूझकर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
AMTZ सूत्रों के अनुसार दोनों ही कंपनियों को आश्वस्त कर दिया गया था कि उनको किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. हैरत की बात है कि AMTZ ने दोनों कंपनियों को घटिया ऑक्सीजन कन्संट्रेटर की एवज में बिना किसी कटौती के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर पूरी रकम यानी करीब 13.40 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया. इतना ही नहीं घटिया ऑक्सीजन कन्संट्रेटर के निर्माण और आपूर्ति के बावजूद कंपनियों के खिलाफ जानबूझकर कई महीने तक कार्रवाई भी शुरू नहीं की गई.
AMTZ ने आंध्र प्रदेश सरकार के पैसे से घटिया कन्संट्रेटर की एवज में करीब साढ़े तरह करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया. जबकि उन पर PM केयर का टैग लगा होने के कारण उन्हें किसी अन्य माध्यम से बेचा या समाहित भी नहीं कराया जा सकता.
सूत्र बताते हैं कि AMTZ ने एक कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की. मगर वह भी इतनी देरी और खामियों के साथ कि कंपनी आसानी से AMTZ को चित्त करने से सफल हो गई. AMTZ द्वारा जानबूझकर कारवाई में बरती गई खामियां के कारण आरोपी कंपनी ने कार्रवाई के खिलाफ अदालत से स्थगन आदेश ले लिया.
इस मामले में AMTZ के प्रबंध निदेशक डॉ जितेंद्र शर्मा से भ्रष्टाचार के इस कथित मामले में उनका पक्ष जानने का प्रयास भी किया गया. लेकिन उन्होंने किसी भी आरोप का कोई जवाब नहीं दिया.
-भारत एक्सप्रेस
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