विश्लेषण

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो की कुर्सी खतरे में…

कनाडा और भारत के बीच रिश्तों में खटास लगातार जारी है, कनाडा की धरती से कभी खालिस्तान का समर्थन तो कभी वहां पर रह रहे छात्रों को हर रोज नए तरीके से परेशाम किए जाने के सरकारी प्रयासों से भारत सरकार असहज है. अभी हाल में तीन छात्रों की हत्या ने कनाडा की कानून व्यवस्था, भारतीयों की सुरक्षा और सरकार की मंशा पर गंभीर शक पैदा हो रहा है.

कनाडा में भारतीय छात्रों को प्रमुख दस्तावेजों को फिर से जमा करने के लिए आमजन, शरणार्थी और नागरिकता (आईआरसीसी) से दो चार होना पड़ रहा है, जिससे चिंता बढ़ गई है. यह कदम सख्त वित्तीय आवश्यकताओं और संभावित नामांकन सीमा के बाद उठाया गया है, जिससे वैध दीर्घकालिक वीजा वाले छात्रों पर भी असर पड़ेगा.

कनाडाई उच्चायोग की गतिविधियों का संज्ञान

इस संदर्भ में भारत एक्सप्रेस द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत सरकार ने भारत में कनाडाई उच्चायोग की गतिविधियों का संज्ञान लिया है, जो वर्तमान शासन के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करती है, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत के प्रति शत्रुता लंबे समय से साक्ष्य में है. उनकी 2018 में भारत यात्रा, जिसका उद्देश्य वोट बैंक का समर्थन करना था, ने उनकी बेचैनी को बढ़ा दिया. उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया गया है, जो भारत के संबंध में खुले तौर पर चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से जुड़े हैं.

दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप से पता चला कि वह इस संबंध में कितनी दूर तक जाने को तैयार थे, जिसके नेता खुले तौर पर भारत के संबंध में अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, इससे मामला और बिगड़ गया. इस बीच ब्लॉक क्यूबेकॉइस के नेता का कहना है कि अगर ट्रूडो को 2025 की शुरुआत में विश्वास मत के लिए बुलाया जाता है तो सरकार के जाना निश्चित है , इसलिए उन्हें विश्वास मत से पहले इस्तीफा दे देना चाहिए.

तीन भारतीय छात्रों की मौत


भारत ने कनाडा में हाल ही में तीन भारतीय छात्रों की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘भयानक त्रासदी’ बताया है. भारत सरकार ने कनाडा में अपने नागरिकों की सुरक्षा और भलाई के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की है, भारत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस बात पर जोर दिया कि कनाडा में भारतीयों की सुरक्षा भारत सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है.

उन्होंने कहा कि ओटावा में उच्चायोग ने कनाडाई अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया है और उनसे हत्याओं की गहन जांच करने का आग्रह किया है. दरअसल विदेशी मामलों के जानकार लोगों का मानना है कि ट्रूडो सरकार ने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए कनाडा में अराजकता को लगातार बढ़ावा दिया है.

इसके लिए ट्रूडो सरकार ने जान-बूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को भारतीय राजनयिकों और समुदाय के नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए जगह प्रदान की है. इसमें उन्हें और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी भी शामिल है. इन सभी गतिविधियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है.

भारत-कनाडा व्यापार

भारत और कनाडा के बीच व्यापार और निवेश संबंध एक अभिन्न अंग हैं, दोनों देशों के बीच बहुआयामी साझेदारी के घटक में द्विपक्षीय व्यापार 2023 में माल की मात्रा 10.50 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी (भारत का निर्यात: 6.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर और भारत का आयात: 4.10 बिलियन अमेरिकी डॉलर) जो दोनों देशों की व्यावसायिक क्षमता से काफी कम है. 2023 में सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार 8.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. 2023 (जनवरी-अक्टूबर) में द्विपक्षीय माल का व्यापार 7.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर (भारत का निर्यात: 4.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर और भारत का) था. आयात: 3.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर). दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और सबसे बड़े बाजारों में से एक के रूप में भारत निवेश के लिए बड़े अवसर प्रदान करता है. तथ्य यह है कि विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत ने पिछले दो वर्षों में अपनी रैंक में 53 स्थानों का सुधार किया है, जो देश के निवेश माहौल को बदलने में भारत सरकार की प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत है.

कनाडा में भारत!


भारतीय कनाडाई दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों के एक उपसमूह में शामिल हैं, जो एशियाई कनाडाई लोगों का एक और उपसमूह है. 2021 की जनगणना के अनुसार, भारतीय देश में सबसे बड़ा गैर-यूरोपीय जातीय समूह हैं और कनाडा में सबसे तेजी से बढ़ते राष्ट्रीय मूल हैं. 2021 की जनगणना के अनुसार, कनाडा में 7,013,835 लोगों ने एशियाई मूल के होने की सूचना दी, जो जनसंख्या का 19.3% प्रतिनिधित्व करते हैं. 2021 में रिपोर्ट किए गए शीर्ष तीन एशियाई मूल के लोग चीनी (लगभग 1.7 मिलियन लोग), भारतीय (भारत) (लगभग 1.3 मिलियन) और फिलिपिनो (925,490) थे.

कनाडा में कई स्वदेशी लोग खुद को ‘भारतीय’ के रूप में वर्णित नहीं करना पसंद करते हैं और इस शब्द को उपनिवेशवाद और नस्लवाद में निहित मानते हैं. भारतीय अधिनियम के तहत, ‘भारतीय’ शब्द का सटीक कानूनी अर्थ प्रथम राष्ट्र के व्यक्तियों को संदर्भित करता है, जो पंजीकरण के हकदार हैं. भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है. अगर किसी व्यक्ति के पास कभी भारतीय पासपोर्ट रहा है और उसने किसी अन्य देश का पासपोर्ट प्राप्त कर लिया है, तो उसे किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करने के तुरंत बाद भारतीय पासपोर्ट को सरेंडर करना होगा.

ज्यादातर आगंतुक कनाडा में 6 महीने तक रह सकते हैं. प्रवेश के बंदरगाह पर सीमा सेवा अधिकारी आपको 6 महीने से कम या ज्यादा समय तक रहने की अनुमति दे सकते हैं. अगर ऐसा है, तो वे आपके पासपोर्ट में वह तारीख लिख देंगे जिस तक आपको जाना है.

कनाडा में संकट क्या है!

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को सत्ता में बनाए रखने वाले कनाडाई राजनीतिक दल के प्रमुख का कहना है कि वह अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करेंगे, जिससे प्रभावी रूप से यह आश्वासन मिलेगा कि उदारवादियों को अगले साल की शुरुआत में सत्ता से हटा दिया जाएगा. वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के नीतिगत टकराव के कारण इस्तीफा देने के बाद से ट्रूडो पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है.

करीब 41 मिलियन की आबादी वाले कनाडा में, जहां 5 में से 2 लोग या तो आप्रवासी हैं या किसी एक के बच्चे हैं, इस बहस ने एक पहचान संकट पैदा कर दिया है, जेनोफोबिया में वृद्धि के साथ जो एक स्वागत योग्य स्थान के रूप में देश की प्रतिष्ठा के साथ मेल नहीं खाता है.

एक अन्य विपक्षी दल, ब्लॉक क्यूबेकॉइस के नेता का कहना है कि अगर ट्रूडो को 2025 की शुरुआत में विश्वास मत के लिए बुलाया जाता है तो वह अविश्वास मत से बच नहीं पाएंगे. ऐसे में उन्हें सदन से बाहर इस्तीफा दे देना चाहिए. मौजूदा सरकार यानी 338 सदस्यीय House of Common Canada में लिबरल की संख्या 153 और Conservative की संख्या 120 और ब्लॉक क्यूबेकॉइस– 33 तथा PDP संख्या 25 है और अन्य सासंदों की संख्या 6 है.

-भारत एक्सप्रेस

कृष्ण मोहन शर्मा, एडिटर, नेशनल अफेयर्स

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