रीजनल PF कमिश्नर (सेन्ट्रल) ने जिमखाना क्लब के कर्मचारियों के PF फंड में हुए तथाकथित घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं. इसी के साथ क्लब पर डेढ़ करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. धोखाधड़ी का आरोप किसी और पर नहीं बल्कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा नियुक्त सरकारी निदेशकों पर है।
इस बार मामला जिमखाना क्लब के कर्मचारियों के PF Fund से जुड़ा है. आरोप है कि क्लब के सरकारी निदेशकों ने कर्मचारियों के PF का पैसा उनके खातों में जमा नहीं कराया. यही वजह है कि रीजनल आयुक्त ने इस मामले में क्लब पर डेढ़ करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया. इसी के साथ मामले की ऑडिट जाँच कराने का आदेश भी दिया है.
मार्च 2022 में क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त मनीष नैयर ने जिमखाना कर्मचारी भविष्य निधि की छूट रद्द कर दी और 30 दिनों में सभी प्रतिभूतियों को उनके खातों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया. उस समय EOW में दर्ज FIR 103/21 के आरोपी जेपी सिंह क्लब के सचिव थे. 03 अप्रैल को उनके स्थान पर क्लब के सरकारी निदेशक आशीष वर्मा को सचिव नियुक्त किया गया. जिन्हें पीएफ कमिश्नर के 20 अप्रैल 2022 के आदेश के तहत 18.7 करोड़ PF Fund में ट्रांसफर करना था। लेकिन दिसंबर 2022 तक, उन्होंने ज्यादातर प्रतिभूतियां अपने पास रखे रखी. फंड में घाटे को कवर करने के लिए स्टाफ PF खाते में 57 लाख रु. स्थानांतरण कर दिए गए. मगर खुद की नियुक्ति करने वाले कंपनी कार्य मंत्रालय या क्लब के सदस्यों को इसकी जानकारी नहीं दी गई. सूत्रों की माने तो क्लब निदेशकों को शायद ऐसा लग रहा था कि करीब 8 करोड़ रुपए के डेविस कप फ्रॉड की तरह इस मामले में भी मंत्रालय कुछ नहीं करेगा.
हैरानी की बात है कि क्लब अध्यक्ष मलय सिन्हा ने EOW ही नहीं दिसंबर 2022 की AGM में क्लब सदस्यों और ऑडिटर से भी पीएफ घोटाले की बात छिपाकर रखी. AGM में दावा किया गया था कि मार्च 2022 में आयोजित डेविस कप के तहत कर्मचारियों को 1.2 करोड़ बोनस का भुगतान किया गया. जबकि सभी को पता था कि क्लब के पूर्व सचिन कर्नल आशीष खन्ना ने जून 2021 में ही पीएफ धोखाधड़ी के आरोपों की शिकायत भी कर दी थी. कर्नल खन्ना ने हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आरोप भी लगाया था कि मलय सिन्हा क्लब में हुए घोटालों की जांच प्रभावित करके आरोपियों की मदद कर रहे हैं. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 31 जुलाई को मृत सदस्यों के कार्ड से शराब की बिक्री के मामले में 4 सप्ताह का नोटिस जारी किया था. हैरानी की बात है कि EOW ने उसे भी तवज्जो नहीं दी. मगर रीजनल PF कमिश्नर ने जिमखाना के कर्मचारियों को आर्थिक हानि पहुंचाने वाले PF घोटाले का संज्ञान लेते हुए 7 जुलाई 2023 को जिमखाना क्लब पर 1.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया. साथ ही थर्ड पार्टी ऑडिट करने के लिए AAAGCA LLP को भी नियुक्त कर दिया.
31 अगस्त 2023 को AAAGCA के विशाल वर्मा ने क्लब को लिखा कि उन्होंने कर्नल खन्ना और कर्मचारियों की शिकायतों की जांच के लिए क्लब को कई बार लिखा. लेकिन क्लब ने सहयोग नहीं किया. तब उन्होंने आखिरी मौका देते हुए 4 सितंबर तक जानकारी उपलब्ध कराने का आग्रह किया था. मगर क्लब अध्यक्ष मलय सिन्हा ने उन्हें जानकारी नहीं दी. जिसके बाद रीजनल PF कमिश्नर ने 21 सितंबर को एक टीम जांच के लिए क्लब में भेजी थी. सूत्रों के अनुसार इस टीम ने क्लब में कई गंभीर खामियों की जानकारी दी है.
जिमखाना के ऑडिटर बी जे सिंह ने भी घोटाले की गंभीरता को ध्यान में रखकर अब 55 आपत्तियां दर्ज कराई हैं। उन्होंने फिर से 2022 की मजार फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध कराने की भी मांग की. जिसके बारे में भारत एक्सप्रेस ने 28 मार्च को समाचार प्रकाशित किया था. इस रिपोर्ट में मनदीप कपूर, जेपी सिंह, डीआर सोनी और वकील जी लिब्रहान का नाम भी शामिल है. ऑडिटर ने ग्रेच्युटी और पीएफ क्लेम में वसूले जा रहे भारी भरकम बिलों पर भी अपनी आपत्ति जताई थी. उन्होंने क्लब निदेशक नलिन कोहली द्वारा खेतान एंड कंपनी के चयन पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि एक साल में दो करोड़ रुपए फीस लेने के लिए इस कंपनी ने कौन सी मेहनत की है?
सूत्रों की मानें तो 19 अगस्त को हुई एक बैठक में जब नाराज कर्मचारियों ने अपने PF Fund में धोखाधड़ी के मामले क्लब सचिव राजीव होरा को खरी-खोटी सुनाई तो उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा नियुक्त निदेशक इसके लिए जिम्मेदार हैं. जबकि हकीकत यह है कि राजीव होरा ने खुद भी AGM बैलेंसशीट पर हस्ताक्षर कर दावा किया था कि डेविस कप के लिए कर्मचारियों को 1.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.
सितंबर 2022 में तत्कालीन राजस्व सचिव तरूण बजाज, निदेशक (इन्वेस्टिगेशन) आर कुकरेजा ने जिमखाना क्लब की वित्तीय धोखाधड़ी और 50 करोड़ रुपये से अधिक के सार्वजनिक धन के भ्रष्टाचार के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी अवगत कराया था. उन्होंने बताया था कि क्लब में निदेशक नियुक्त किए गए पूर्व आईपीएस के आर चंद्रा ने इस्तीफा दे दिया, मगर क्लब निदेशकों ने मंत्रालय से यह बात छिपाए रखी. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास के साथ ड्रोन उड़ाकर राष्ट्रीय सुरक्षा के उल्लंघन के आरोप भी सामने आए थे.
जिमखाना के सदस्यों का आरोप है कि सरकारी निदेशकों ने जिमखाना का सर्कस बना दिया है. उनका यह भी आरोप है यह निदेशक अपने चहेते वकीलों और वेंडरों को नियुक्त कर कमीशन वसूल रहे हैं. हैरानी की बात तो यह है कि भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए नियुक्त सरकारी निदेशक खुद भ्रष्टाचार के आरोपी बन रहे हैं. उनका कहना है कि PF फंड मामले में लगाए गए जुर्माने की रकम इन सरकारी निदेशकों के निजी खातों से वसूली जानी चाहिए.
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